तृणमूल के पुलिन गोलदार का आरोप : रुग्ण व बंद चाय बागानों के लिए बजट से कोई उम्मीद नहीं
मालबाजार : शनिवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट को चाय उद्योग के अलावा चाय श्रमिक संगठनों ने निराशाजनक बताया है. वहीं, तृणमूल के श्रमिक नेताओं ने इसे दिशाहीन बजट बताते हुए कहा है कि बजट में रुग्ण और बंद चाय बागानों के लिये कोई प्रावधान नहीं है. वहीं, कुल मिलाकर बजट में उत्तर बंगाल के चाय बागान के लिये अलग से कोई आवंटन नहीं होने से चाय उद्योग से जुड़े लोगों में निराशा है. हालांकि कई चाय बागान के प्रबंधन ने जीएसटी को नहीं बढ़ाये जाने पर संतोष जताया है. लेकिन वे भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखे.
डुआर्स के एक प्रमुख चाय बागान के मैनेजर राधेश्याम खंडेलवाल ने बताया कि चाय उद्योग के लिये अलग से कोई आवंटन नहीं है. जीएसटी समान है. उद्योग के संकट से उबरने के लिये कोई मदद नहीं दिखी. हालांकि जीएसटी की दर बढ़ती तो बाजार के दाम भी बढ़ते. इस लिहाज से बजट सामान्य है. इनडंग चया बागान के मैनेजर रजत देव ने बताया कि चाय बागानों के लिये अलग से कोई आवंटन नहीं है. आगे देखा जाये कि क्या होता है.
वहीं, माकपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार चाय बागानों के बेरोजगार युवाओं के लिये कोई विशेष प्रावधान या योजना नहीं है. उधर, तृणमूल के चाय श्रमिक नेता पुलिन गोलदार ने बताया कि यह एक दिशाहीन बजट है. केंद्र सरकार के पास चाय उद्योग के लिये वक्त नहीं है. रुग्ण और बंद चाय बागानों के लिये कोई उम्मीद नहीं दिख रही.
सभी निराश हैं. चाय बागान संगठनों के ज्वाइंट फोरम के संयोजक जियाउल आलम ने कहा कि चाय श्रमिकों के लिये एक करोड़ से अधिक की निकासी पर टीडीएस से रियायत के लिये केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया था. लेकिन सरकार ने इतना भी नहीं माना. यह बजट चाय उद्योग को और पीछे ले जायेगा. चाय बागान तृणमूल कांग्रेस मजदूर यूनियन के अध्यक्ष मोहन शर्मा ने कहा कि चाय श्रमिक इस बजट से वंचित हुए हैं. इसका जवाब भाजपा के तीन सांसदों को देना होगा.
हालांकि भाजपा के जलपाईगुड़ी के जिलाध्यक्ष बापी गोस्वामी ने कहा कि सामग्रिक तौर पर बजट फलदायी है. इससे विकास को गति मिलेगी. उसे गति से चाय उद्योग लाभान्वित होगा. नये निवेश होंगे. उसका फल सभी को मिलेगा. वहीं, भाजपा समर्थित भारतीय टी वर्कर्स यूनियन के महासचिव संतोष हाती ने कहा कि उन्होंने बजट को पूरी तरह पढ़ा नहीं है. इसलिये उन्होंने कोई मंतव्य नहीं किया.
जलपाईगुड़ी जिला लघु चाय उत्पादक समिति के सचिव विजय गोपाल चक्रवर्ती ने कहा कि बजट में लघु चाय उत्पादकों के लिये कोई अलग से आवंटन नहीं है. वहीं, टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टाई) के डुआर्स सचिव राम अवतार शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार पांच साल तक न्यूनतम श्रमिकों के पीएफ का अंशदान करती तो यह चाय उद्योग के लिये बड़ी राहत होती. चाय बागान संगठनों के शीर्ष मंच सीसीपीए के महासचिव अरिजित राहा ने कहा कि चाय उद्योग के लिये तात्कालिक कोई राहत नहीं है.
हालांकि स्वास्थ्य परियोजना, जलवायु परिवर्तन, पंचायत स्तर पर ऑप्टिक फाइबर के विस्तार जैसी योजना बजट का सकारात्मक पक्ष है. इसका चाय उद्योग को लाभ भविष्य में मिल सकता है. हालांकि अनुसूचिज जाति व जनजाति बहुल उत्तर बंगाल के चाय बागानों पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रुप से निर्भर 14 लाख लोगों के हित में अलग से विशेष पैकेज की जरुरत थी.