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मंत्री गौतम देव के बयान पर पहाड़ के नेताओं में उबाल

एनआरसी लागू होने पर एक भी गोरखा का नाम दर्ज नहीं होने की कही थी बात कालिम्पोंग : राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव की ओर से मिरिक में एनआरसी लागू होने पर दार्जिलिंग पहाड़ में एक भी लोग नहीं होने की बात कहने पर पहाड़ में बबल खड़ा हो गया है. क्या पहाड़ के […]

एनआरसी लागू होने पर एक भी गोरखा का नाम दर्ज नहीं होने की कही थी बात

कालिम्पोंग : राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव की ओर से मिरिक में एनआरसी लागू होने पर दार्जिलिंग पहाड़ में एक भी लोग नहीं होने की बात कहने पर पहाड़ में बबल खड़ा हो गया है. क्या पहाड़ के लोग नेपाल या फिर किसी अन्य देश से आये है. मंत्री के बयान के बाद बुधवार को यह चर्चा का विषय बना रहा. जन आंदोलन पार्टी के अध्यक्ष डॉ हरका बहादुर छेत्री ने उक्त बयान को अज्ञानता में दिया गया बयान बताया. छेत्री ने कहा कि देव को अपने इलाके का इतिहास नहीं पता है.

1924 में दार्जिलिंग में गोरखा रिक्रूटमेंट केंद्र था, जो अंग्रेजों के आने पर रिकॉर्ड में आया. पहाड़ में 200 साल का इतिहास लोगों के पास है. 1930 से 1960 तक के मतगणना देखने पर 64600 के करीब बंगाली एवं राजवंशी थे, तो वहीं नेपाली 2.89 लाख थे. डॉ छेत्री ने कहा कि टीएमसी को वोट चाहिए. डॉ छेत्री ने कहा कि पहाड़ में एक डर है. 200 साल से आगे का लोगो के पास दस्तावेज़ नहीं है. पहाड़ को सभी सरकारों ने नदरअंदाज़ किया है. सरकार की कोई योजना यहां आने में वर्षों लग जाते हैं.

डॉ छेत्री ने कहा कि जब तक हम दूसरों पर निर्भर है, तब तक कुछ नहीं हो सकता. वहीं क्रामाकपा आंचलिक समिति के अध्यक्ष किशोर प्रधान ने कहा कि पहाड़ से इंद्रणी, सावित्री, सहीद दल बहादुर गिरी, पहाड़े गांधी तो वही संविधान पर हस्तचार करने वाले बैरिस्टर अड़ी बहादुर गुरुंग कहा से आये. उन्होंने देव के बयान को वापस लेने की मांग करते हुए देव पर कार्रवाई करने की मांग की. वही विमल गुट के युवा मोर्चा के सयोजक तोपदेन भूटिया ने उक्त बयान की घोर निंदा की.

उन्होंने कहा कि यह बयान बंगाल सरकार के गोरखा एवं पहाड़ के प्रति नजरिया को दिखाता है. भूटिया ने कहा कि जीटीए में रहनेवाले हाल में असम में एनआरसी पीड़ितों से मिलकर सहानभूति से ज़्यादा राजनैतिकरण करके लौटे हैं, वो मंत्री के बयान पर क्या बोलेंगे. केकेएस सचिव विष्णु छेत्री ने कहा कि जीटीए के नेतृत्व के मुख में क्या ताला लगा हुआ है, जो मंत्री के बयान पर एक शब्द नहीं बोल रहे हैं.

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