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चामटा व पुंडिंग में लगाये गये 12 एलिफेंट डिटेक्टिंग डिवाइस
दार्जिलिंग वाइल्ड लाइफ डिवीजन तथा सोसाइटी फॉर नेचर एंड एनिमल प्रोटेक्शन के सहयोग से लगाये गये डिवाइस का हुआ परीक्षण खाने की तलाश में हाथी बस्ती इलाकों में पहुंच घरों को नुकसान पहुचाते है हाथी के हमलों में कई लोगों ने अपनी जानभी गंवाई सिलीगुड़ी :चामटा तथा पुंडिंग वन्य बस्ती इलाके में जंगली हाथियों के […]
दार्जिलिंग वाइल्ड लाइफ डिवीजन तथा सोसाइटी फॉर नेचर एंड एनिमल प्रोटेक्शन के सहयोग से लगाये गये डिवाइस का हुआ परीक्षण
खाने की तलाश में हाथी बस्ती इलाकों में पहुंच घरों को नुकसान पहुचाते है
हाथी के हमलों में कई लोगों ने अपनी जानभी गंवाई
सिलीगुड़ी :चामटा तथा पुंडिंग वन्य बस्ती इलाके में जंगली हाथियों के प्रवेश को रोकने के लिए दार्जिलिंग वाइल्ड लाइफ डिवीजन तथा सोसाइटी फॉर नेचर एंड एनिमल प्रोटेक्शन(एसएनएपी) नामक एनजीओ ने 12 ऑटोमैटिक एलिफेंट डिटेक्टिंग डिवाइस लगाया है. सोमवार को दोनों जगहों पर एलिफेंट डिटेक्टिंग डिवाइस का परीक्षण किया गया. डिवाइस में लगाये गये सेंसर 200 मीटर दूर से ही हाथियों का पता लगाकर कंट्रोल रूम को एक सिग्नल भेजेगा. जिससे उस डिवाइस में इंस्टॉल किये गये हूटर बज उठेंगे.
सिलीगुड़ी के आसपास के जन बहुल इलाकों में आये दिन जंगली हाथियों के घुसने की खबर मिलती है. खाने की तलाश में हाथी रात के वक्त बस्ती इलाकों में पहुंच जाते हैं और घरों को तोड़फोड़ करने के साथ फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं. वहीं हाथी के हमले में कई लोगों की अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. खासकर शहर संलग्न गुलमा से होकर गुजरने वाली रेल ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आकर जंगली हाथी हादसे के शिकार हो जाते हैं.
इन सभी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए एसएनएपी ने वर्ष 2017 से इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया. ये पूरा डिवाइस सोलर सिस्टम के सहारे बैटरी से संचालित होता है. इसमें लगाये गये हाई क्वालिटी के सेंसर 200 मीटर दूर से ही हाथी की मौजूदगी को भांपकर डिवाइस को एक सिग्नल भेजेगा. इसके लिए गुलमा के रेंज ऑफिस में एक कंट्रोल रूम खोला गया है. सिग्नल मिलते ही सायरन बजने लगेगा. जिससे फॉरेस्ट गार्ड को हाथियों की उपस्थिति की जानकारी मिल जायेगी.
इस संबंध में दार्जिलिंग वाइल्ड लाइफ डिवीजन के डीएफओ जीजु जेसफर जे ने बताया कि चामटा में 4 तथा पुंडीग वन्य बस्ती में 8 एलिफेंट डिटेक्टिंग डिवाइस लगाया गया है. उन्होंने कहा कि इस डिवाइज को तैयार करने में सबसे बड़ा हाथ एसएनएपी का है. ये डिवाइज 200 मीटर दूर से हाथी का पता लगा सकता है. इस डिवाइज की देखरेख की जिम्मेदारी बीट अधिकारियों को दी गयी है. उन्होंने कहा कि गोरुमा में इस डिवाइस से काफी लाभ मिल रहा है. अगर यहां भी ये डिवाइस सही से काम करता है तो जंगली इलाके में रहने वाले लोगों को फायदा होगा. एलिफेंट डिटेक्टिंग डिवाइस के परीक्षण के दौरान कॉलेज छात्र-छात्राएं भी मौजूद थी.
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