एरिक शमुएल कुजूर के बनाये चित्रों को विदेशों में मिल रही जगह
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डुआर्स की सुंदरता से अवगत करा रहा युवा चित्रकार
एरिक शमुएल कुजूर के बनाये चित्रों को विदेशों में मिल रही जगह चित्रकला पर शोध करने की जतायी इच्छा नागराकाटा :डुआर्स सौंदर्य से परिपूर्ण इलाका है, जिसकी प्रशंसा देश से लेकर विदेशों में भी होती है. यहां एक युवा चित्रकार है जो अपने क्षेत्र की सुंदरता को मुख्य हथियार बनाकर विश्व में इसकी सुंदरता की […]
चित्रकला पर शोध करने की जतायी इच्छा
नागराकाटा :डुआर्स सौंदर्य से परिपूर्ण इलाका है, जिसकी प्रशंसा देश से लेकर विदेशों में भी होती है. यहां एक युवा चित्रकार है जो अपने क्षेत्र की सुंदरता को मुख्य हथियार बनाकर विश्व में इसकी सुंदरता की पहचान कराने के लिए एक बड़ा सपना देख रहा है. अपने कम उम्र में भी सपना पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्प लेकर आगे बढ़ता जा रहा है.
हम बात कर रहे हैं नागराकाटा ब्लॉक स्थित भगतपुर की एक श्रमिक परिवार के एक आदिवासी युवक एरिक शमुएल कुजूर की. डुआर्स के युवक एरिक शमुएल कुजूर का बनाये चित्र देश में ही नहीं बल्कि डेनमार्क, नॉर्वे जैसे देशों में की चित्र प्रदर्शनी में हिस्सा ले रहा है. परंतु युवक वहीं पर सीमित रहना नहीं चाहता है.
एरिक पढ़ाई-लिखाई समाप्त करने के बाद डुआर्स के चाय बागान के निर्धन चाय श्रमिक के बच्चों के लिए फाइन आर्ट एकेडमी की स्थापना करना चाहता है. एरिक का कहना है चाय बागान में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. उन्हें केवल एक अवसर की दरकार है. यह अनुभव मुझे कोलकाता आने के बाद पता चला.एरिक शमुएल कुजूर भगतपुर चाय बागान चादर लाइन का निवासी हैं. उनके पिता सुनील कुजूर चाय बागान में चौकीदार का काम करते हैं. मां पारामुनी कुजूर गृहवधू हैं. तीन भाई बहनों में एरिक शमुएल सबसे बड़ा है.
एरिक को बचपन से ही चित्र बनाने का काफी शौक था. एरिक जब स्कूल में अध्ययन कर रहा था उसी दौरान नॉर्वे से आई एक विदेशी महिला लिशबेथ बिजार्ग ने एरिक का बनाया हुआ चित्र देखा. महिला ने एरिक के चित्रकला की कायल हो गयी और बनाये चित्र को 500 रुपये में खरीद लिया. चित्र खरीदने के साथ एरिको चित्रकला पर विशेष ध्यान देने का सुझाव देकर महिला चली गयी. एरिक ने बताया कि मुझे चित्र बनाने में केवल 20 रुपये खर्च लगा था, लेकिन जब विदेशी महिला ने चित्र को 500 में खरीदा तो मुझे उससे चित्र कला के लिए प्रेरणा मिली.
इंटरनेट के माध्यम से चित्रकला के बारे में जानकारी हासिल करते हुई एरिक ने रविंद्र भारती विश्वविद्यालय के द यूनियन एंड कॉलेज ऑफ आर्ट कॉलेज में दाखिला लिया. वर्तमान एरिक तीसरे वर्ष में अध्ययन कर रहा हैं. उसका फाइन आर्ट के कोर्स चार साल का है. उसके बाद स्नातक की पढ़ाई-लिखाई. वह भी रविंद्र भारती विश्वविद्यालय में ही करना चाहता है. भविष्य में चित्रकला चित्रकला के ऊपर शोध करना चाहता है. डुआर्स से चित्रकला के चित्र पर एरिक जहां पर है आज तक कोई विद्यार्थी वहां तक पहुंच नहीं पाया है.
एक चाय बागान श्रमिक के बेटे का बनाया चित्र विदेशों के प्रदर्शनी में हिस्सा ले रहा है. पांच सौ रुपये में चित्र खरीदने वाली विदेशी महिला जब एरिक से फिर मिलने के लिए आई. उस समय एरिक का बनाया हुआ चित्र को देखकर महिला हक्का-बक्का रह गई. उसी समय महिला चित्रों को अपने साथ लेकर जाती है और उसे नॉर्वे में एक चित्र प्रदर्शनी में रख देती है.
एरिक का बनाया हुआ चित्र कला में डुआर्स क्षेत्र के चाय बागान चाय बागानों की गरीब दुखी भूख से बिलखते बच्चे यहां की हरियाली और सुंदर परिवेश नदी नाला हरी को देखा जा सकता है. चाय बागान क्षेत्र में रहने वाले विद्यार्थियों में भी कलाकारी होती है जो एरिक ने सिद्ध कर दिया है. चाय बागान मालिक संगठन के टाई डुआर्स शाखा सचिव राम अवतार शर्मा ने कहा कि डुआर्स के अन्य विद्यार्थी एरिक की राह पर चलेंगे तो उन्हें अवश्य सफलता प्राप्त होगी.
एरिक को सफलता मिले एवं उनका सपना पूरा हो या भगवान से प्रार्थना करते हैं. नागराकाटा प्रखंड अधिकारी स्मृता सुब्बा ने कहा कि जल्द ही युवक को नागराकाटा में सम्मानित किया जाएगा. चित्रकला में अध्ययन कर आगे बढ़ने का सोच बहुत ही सराहनीय कार्य है.
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