सिलीगुड़ी : बार-बार भूस्खलन व ट्रैक धंसने के कारण यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल डीएचआर(दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे) की टॉय ट्रेन परिसेवा को बहाल रखने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. डीएचआर प्रबंधन के मुताबिक टॉय ट्रेन से उन्हें कोई खास लाभ नहीं हो रहा है. वहीं जानकारों का कहना है कि सही देखरेख के अभाव में टॉय ट्रेन का अस्तिव खतरे में है.
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प्राकृतिक आपदा से टॉय ट्रेन परिसेवा पर गहराया संकट
सिलीगुड़ी : बार-बार भूस्खलन व ट्रैक धंसने के कारण यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल डीएचआर(दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे) की टॉय ट्रेन परिसेवा को बहाल रखने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. डीएचआर प्रबंधन के मुताबिक टॉय ट्रेन से उन्हें कोई खास लाभ नहीं हो रहा है. वहीं जानकारों का कहना है […]
देश-विदेश से हजारों पर्यटक हर वर्ष सिलीगुड़ी में टॉय ट्रेन की सवारी करने के लिए आते हैं. ब्रिटिश राज में टॉय ट्रेन को चालू किया गया था. टॉय ट्रेन एनजेपी स्टेशन से पहाड़ी रास्ते से होते हुए दार्जिलिंग तक जाती है. जिस वजह से टॉय ट्रेन को लेकर पर्यटकों में काफी जिज्ञासा रहती है. पर्यटकों की सुविधा को देखते हुए डीएचआर की ओर से इसमें कई जरूरी परिसेवाओं को जोड़ा गया था. पिछले साल ही टॉय ट्रेन में एसी कोच लगाये गये थे. लेकिन हर वर्ष बारिश के मौसम में पहाड़ी रास्तों पर भूस्खलन होने व रेल ट्रैक धंसने की वजह से टॉय ट्रेन का परिचालन बाधित होता है. मानसून के मौसम में अधिकतर समय टॉय ट्रेन बंद रहती है.
इससे रेलवे तथा डीएचआर को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. हाल ही में यूनेस्को ने भी एक रिपोर्ट जारी कर डीएचआर के रख रखाव पर सवाल उठाया है. ज्ञात हो कि पिछले 12 दिनों से सिलीगुड़ी तथा आसपास के इलाकों में भारी बारिश व पहाड़ पर कई जगह भूस्खलन की घटना घटी है. इस कारण 10 दस दिनों से टॉय ट्रेन का परिचालन पूरी तरह बंद है. इस कारण दूरदराज से घूमने आये पर्यटकों को भी निराश होकर लौटना पड़ रहा है.
टॉय ट्रेन परिसेवा दोबारा बहाल करने के सवाल पर डीएचआर के निदेशक मिलन कुमार नर्जीनरी से बताया कि अक्सर इस मौसम में पर्यटक कम आते हैं. उन्होंने कहा कि भूस्खलन के कारण कई स्थानों पर टॉय ट्रेन धंसने से टॉय ट्रेन सेवा को फिलहाल बंद रखा गया है. उन्होंने कहा कि रास्ता व ट्रैक मरम्मत का काम चल रहा है.
दूसरी ओर डीएचआर की स्थिति को लेकर एनएफ रेलवे, कटिहार डिवीजन के डीआरएम रवींद्र कुमार वर्मा ने कहा कि उनके सामने बड़ी चुनौती भूस्खलन से निपटने की है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि डीएचआर से उन्हें कोई खास लाभ नहीं मिल रहा है. लेकिन इसके रखरखाव में काफी लागत आ रही है. उन्होंने बताया कि ये विश्व की धरोहर है. इसे ध्यान में रखकर ही इसे चलाया जा रहा है. श्री गुप्ता के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं पर लगाम लगाना किसी के बस में
नहीं है.
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