सिलीगुड़ी: राज्य सरकार द्वारा हाईकोर्ट में नगरपालिका चुनाव नहीं कराये जाने संबंधी हलफनामा दायर करने के बाद एक तरह से सिलीगुड़ी नगर निगम के चुनाव को भी ग्रहण लग गया है. कुछ महीने पहले सिलीगुड़ी नगर निगम के बोर्ड भंग होने के बाद से ही तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर सभी विपक्षी दल शीघ्र से शीघ्र सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव कराने की मांग कर रहे थे. सिलीगुड़ी नगर निगम की मियाद इस वर्ष अक्टूबर में समाप्त हो रही है.
करीब साढ़े चार वर्षो से सिलीगुड़ी नगर निगम पर कांग्रेस का कब्जा था. कुछ महीने पहले राज्य सरकार पर असहयोग का आरोप लगाते हुए मेयर गंगोत्री दत्ता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और उसके साथ उन्होंने बोर्ड भी भंग कर दी थी. उसके बाद से लेकर अब तक सिलीगुड़ी निगम का काम-काज कमिश्नर सोनम वांग्दी भुटिया देख रहे हैं. सिलीगुड़ी निगम निगम का बोर्ड भंग होने के बाद यहां प्रशासक की नियुक्ति की बात की जा रही थी, लेकिन करीब ढाई महीने से अधिक का सयम बीत चुका है यहां अब तक प्रशासक की नियुक्ति नहीं हो सकी है. कमिश्नर सोनम वांग्दी भुटिया ने इस संबंध में राज्य सरकार के नगरपालिका विभाग को पहले ही रिपोर्ट सौंप दी है, लेकिन नगरपालिका विभाग ने अब तक उस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की है. ऐसे में फिलहाल दूर-दूर तक सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. जबकि कांग्रेस, वाम मोरचा तथा भाजपा आदि तमाम विपक्षी दल अतिशीघ्र चुनाव की मांग कर रहे हैं.
कांग्रेस के जिला अध्यक्ष शंकर मालाकार ने पहले ही यथाशीघ्र चुनाव की मांग की है. इसी प्रकार माकपा नेता तथा पूर्व मंत्री अशोक भट्टाचार्य ने भी सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव यथाशीघ्र कराने की मांग की है. भाजपा महासचिव नंदन दास ने भी राज्य सरकार के अभी नगरपालिका चुनाव नहीं कराये जाने संबंधी हलफनामा की आलोचना की है. श्री दास ने कहा है कि सिलीगुड़ी नगर निगम का बोर्ड भंग होने के बाद से ही नागरिक सेवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके, सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव कराया जाना चाहिए. यहां उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने सिलीगुड़ी नगर निगम सहित 17 नगरपालिकाओं में इस वर्ष चुनाव कराने में अपनी असमर्थता जतायी है और इस संबंध में एक हलफनामा हाईकोर्ट में दाखिल किया है. अब इस मामले में हाईकोर्ट को फैसला करना है. सिलीगुड़ी के विपक्षी दलों के तमाम नेताओं के साथ-साथ आम लोगों की निगाहें भी अब हाईकोर्ट के फैसले पर टिक गई है.