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दार्जिलिंग : बजट सत्र में पेश होगा जनजाति में शामिल करने का बिल
शीतकालीन सत्र में नहीं पेश हो सका जनजाति मामले का बिल अन्य राज्यों से दस्तावेज नहीं मिलने को बताया कारण दार्जिलिंग : आगामी संसदीय बजट सत्र में गोरखा समुदाय के 11 जाति गोष्ठियों को जनजाति में शामिल करने का बिल पारित कर लिया जायेगा. आधिकारिक बातचीत का वीडियो फुटेज जारी कर उक्त बातें केंद्रीय जनजाति […]
शीतकालीन सत्र में नहीं पेश हो सका जनजाति मामले का बिल
अन्य राज्यों से दस्तावेज नहीं मिलने को बताया कारण
दार्जिलिंग : आगामी संसदीय बजट सत्र में गोरखा समुदाय के 11 जाति गोष्ठियों को जनजाति में शामिल करने का बिल पारित कर लिया जायेगा. आधिकारिक बातचीत का वीडियो फुटेज जारी कर उक्त बातें केंद्रीय जनजाति मामलों के मंत्री जोएल ओराम ने कही है. शीतकालीन संसदीय अधिवेशन का सत्र मंगलवार को ही समाप्त हो गया है.
लेकिन इस सत्र में गोरखा समुदाय के 11 जाति गोष्ठियों को जनजाति में शामिल किये जाने का बिल संसद में पेश नहीं हो सका. इसको लेकर पहाड़ के गोरखा समुदाय केंद्र की भाजपा व सरकार से खफा हैं. इसी के तहत गोजमुमो के विनय गुट ने भाजपा सरकार और गोजमुमो के भूमिगत नेता विमल गुरुंग समेत दार्जिलिंग के सांसद सुरेंद्र सिंह अहलुवालिया की जमकर आलोचना की जा रही है.
इसी संदर्भ में केन्द्रीय जनजाति मामलों के मंत्री जोएल ओरम से बातचीत के वीडियो फुटेज में केन्द्रीय जनजाति मामलों के मंत्री श्री ओरम ने आगामी बजट सेशन में गोरखा समुदाय के 11 जाति गोष्ठियों को जनजाति में शामिल किये जाने का बिल पेश करने और संसद में पारित कराने की बात भी कही है. जारी किये गये वीडियो फुटेज में दार्जिलिंग के सांसद एवं केन्द्रीय राज्य मंत्री सुरेन्द्र सिंह अहलुवालिया भी दिखायी दे रहे हैं.
बातचीत में केन्द्रीय जनजाति मंत्री ओरम ने केन्द्रीय जनजाति मामले के मंत्रालय में सिक्किम और पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग से आये हुये दस्तावेज हैं, लेकिन गोरखा समुदाय के लोग दार्जिलिंग और सिक्किम में ही नहीं, बल्की देश के अन्य स्थानों पर भी हैं. इसलिये उन राज्यों से भी दस्तावेज आ रहा है. आगामी कुछ ही दिनों के भीतर सभी दस्तावेज पूरा हो जायेगा. इसके बाद आगमी बजट सत्र में गोर्खा समुदाय के 11 जाति गोष्ठियों को जनजाति में शामिल करने का बिल पेश करके पारित करा लिया जायेगा. बातचीत के क्रम में देश के अन्य जाति गोष्ठियों को जनजाति में शामिल करने की मांग हो रही है.
उनमें से कुछ जाति गोष्ठियों की सूची तैयार की गयी है. लेकिन सांसद में बिल पेश करके पारित करने का कार्य नहीं हुआ है. आगामी बजट सत्र में बिल पेश करके पारित करा लिया जायेगा.
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