गंगतोक : संपत्ति का अधिकार अब हमारे संविधान में मौलिक अधिकार में शामिल नहीं रहा. इसे देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में संविधान संशोधन विधेयक के जरिये मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया था.
तो क्या इस संपत्ति के अधिकार को पुन: मौलिक अधिकारों में शामिल किया जाना चाहिये? या इसे मात्र एक कानूनी अधिकार के रूप में बरकरार रखा जाये. इसी विषय पर सिक्किम राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एसएलए) की तरफ से शनिवार को वाद विवाद प्रतियोगिता आयोजित की गयी.
सिक्किम हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मीनाक्षी मदन राई की पहल पर हाईकोर्ट के प्रेक्षागृह में आयोजित इस प्रतियोगिता में सिक्किम गवर्नमेंट लॉ कॉलेज बुर्तुक पूर्वी सिक्किम, सिक्किम विश्वविद्यालय तादोंग और आईसीएफएआई विवि लोअर सिचे पूर्वी सिक्किम के विद्यार्थियों ने भाग लिये. इसमें कुल 15 छात्र छात्राओं ने भाग लिये जिनमें से प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पाने वाले विद्यार्थी रहे क्रमश: अणामिका गुरुंग सिक्किम गवर्नमेंट कॉलेज, महेश राई सिक्किम विश्वविद्यालय और सोलंकी बसु आईसीएफएआई विश्वविद्यालय.
इन्हें क्रमश: दस हजार, आठ हजार और पांच हजार रुपए बतौर पुरस्कार राशि प्रदान किये गये. प्रतिभागी अन्य विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र दिये गये. निर्णायक मंडल में शामिल रहे एन राई वरिष्ठ अधिवक्ता सिक्किम हाईकोर्ट, पैनल एडवोकेट एसएलएसए एसएस हमाल और टीआर बारफुंगपा. कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन विकास शर्मा उप सचिव एसएलएसए ने किया.
कार्यक्रम में स्वागत भाषण सूरज छेत्री सदस्य-सचिव एसएलएसए ने दिया जिसमें उन्होंने विषय की संक्षिप्त जानकारी दी. उन्होंने कहा कि जस्टिस मीनाक्षी मदन राई की पहल पर यह आयोजन आम जनता में कानून के पेशे को लोकप्रिय बनाने के मकसद से किया गया.