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गोरखालैंड नहीं पसंद तो दूसरे नाम से बने राज्य: भरत मुखिया
दार्जिलिंग : गोरखालैंड के नाम पर बंगाल से अलग होना सम्भव नहीं है. यह बात सुमेटी मुक्ति मोर्चा ने दार्जिलिंग प्रेस गिल्ड में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में कही. मोर्चा के केंद्रीय महासचिव भुवन छेत्री ने कहा कि 2017 में गोरखालैंड गठन की मांग को लेकर दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में भयानक आन्दोलन हुआ, जिसमें 13 लोग […]
दार्जिलिंग : गोरखालैंड के नाम पर बंगाल से अलग होना सम्भव नहीं है. यह बात सुमेटी मुक्ति मोर्चा ने दार्जिलिंग प्रेस गिल्ड में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में कही. मोर्चा के केंद्रीय महासचिव भुवन छेत्री ने कहा कि 2017 में गोरखालैंड गठन की मांग को लेकर दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में भयानक आन्दोलन हुआ, जिसमें 13 लोग शहीद हुए और 105 दिन पहाड बन्द रहा. उस दौरान दार्जिलिंग के सांसद सह केंद्रीय राज्यमंत्री सुरेन्द्र सिंह अहलुवालिया ने कहा था कि केन्द्र सरकार बंगाल से अलग राज्य गठन को तैयार है, परंतु गोरखालैंड शब्द पर आपति है. इसलिए हमारी मांग है कोई अन्य नाम देकर केन्द्र सरकार अलग राज्य का गठन कर दे.
श्री छेत्री ने कहा कि आज तक अलग राज्य को लेकर जितने भी आन्दोलन हुए सभी नेताओं के कुर्सी पर बैठने को लेकर हुए. उन नेताओं ने अगर नि:स्वार्थ भाव से आन्दोलन किया होता तो 1988 में दार्जिलिंग गोरखा पर्वतीय परिषद और 2011 में जीटीए का गठन नहीं हुआ होता. दार्जिलिंग का भूभाग संवैधानिक रूप में भारत में शामिल नहीं हुआ है इसलिए भारत सरकार को संकोश, मेची और तीस्ता नदियों से घिरी जितनी जमीन है उसको मिलाकर बंगाल से अलग राज्य का गठन करना होगा और यह कदम देशहित में होगा.
उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार कह रही है कि अब पहाड़ में शांति है, परन्तू यह गलत है. पहाड़ अभी शांति नहीं है. भारत सरकार पहाड़ की समस्या का समाधान करने के लिए त्रिपक्षीय वार्ता की प्रयास कर रही है और उसमें विमल गुरुंग को शामिल करने का प्रयास कर रही है. परंतु विमल गुरुंग पहाड़ के जनप्रतिनिधि नहीं है. यदि केन्द्र सरकार त्रिपक्षीय वार्ता करना चाहती है तो पहाड़ के सभी राजनैतिक दलों को बुलाना होगा.
सुमेटी मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता भरत मुखिया ने भी पत्रकारों को सम्बोधित किया. उन्होंने कहा कि अगर गोरखालैंड नाम पर आपत्ति है तो उत्तराखंड की तर्ज पर पूर्वी खंड नाम से राज्य गठन कर दे या कोई और नाम तय कर ले. श्री मुखिया ने कहा हमारी मुख्य मांग बंगाल से अलग राज्य का गठन करना है. इसे लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन करने के साथ उनका संगठन केन्द्र सरकार से पत्राचार करेगा और केन्द्रीय मंत्रियों के साथ भेंटवार्ता करेगा.
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