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विद्यालय नहीं जा रहे असुर संप्रदाय के विद्यार्थी, विद्यालय दूर होने के कारण छोड़ रहे पढ़ाई
नागराकाटा : स्कूल में नामांकन के बावजूद स्कूल छोड़कर काम करने व घर में बैठने को विवश हैं असुर संप्रदाय के विद्यार्थी. कोई भूटान में काम के सिलसिले में जाता है, तो कोई चाय बागान में काम करने जाता है. नागराकाटा ब्लॉक स्थित बंद केरन चाय बागान के असुर सम्प्रदाय का दावा है कि गांव […]
नागराकाटा : स्कूल में नामांकन के बावजूद स्कूल छोड़कर काम करने व घर में बैठने को विवश हैं असुर संप्रदाय के विद्यार्थी. कोई भूटान में काम के सिलसिले में जाता है, तो कोई चाय बागान में काम करने जाता है. नागराकाटा ब्लॉक स्थित बंद केरन चाय बागान के असुर सम्प्रदाय का दावा है कि गांव से कई किलोमीटर दूर विद्यालय अवस्थित होने के कारण विद्यार्थियों को आने-जाने की समस्या के कारण विद्यालय छोड़ना पड़ा.
केरन चाय बागान में एक छोटा सा गांव है कारी लाईन, जो भूटान सीमान्त से सटा है. यहां 62 परिवार निवास करते हैं. इनमे से तीन को छोड़कर अन्य सभी अनुसूचित जनजातियों के असुर जनजाति हैं. कारी लाईन असुर जाति से प्राथमिक विद्यालय में अध्यन समाप्त कर उच्च विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थी सिर्फ 22 हैं. ये सभी इस सम्प्रदाय के प्रथम अध्यन करने वाले छात्र-छात्राएं है.
वर्तमान में इन सभी विद्यार्थियों की आर्थिक स्थिति कमजोर रहने के कारण परिवार और रोजी-रोटी के लिए पढ़ाई छोड़कर कामकाज में लग गए हैं. उनमें से एक है कक्षा नौ में अध्यन करने वाली पूजा असुर. स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ माह से पूजा स्कूल नहीं जा रही है. वहां पढाई-लिखाई के बदले भूटान के शनडुप में किसी के घर काम कर रही थी.
लेकिन पिछले गुरुवार को वह लौट आयी है. वैसे ही वर्ग दस में अध्यन करने वाली आकाशी असुर, रंजीता असूर भूटान के पूंछलिंग में काम के लिए करने के लिए गई हुई है. दोनों ही तीन महीनों से किसी के घर में काम कर रही है.
कारी लाईन के स्थानीय निवासी एवं समाजसेवी जगन्नाथ सिंह ने कहा कि 22 विद्यार्थी में से सभी ने स्कूल जाना बंद कर दिया है. सभी किसी के घर में चाय बागान में काम करने लगे हैं. कई बार सभी को विद्यालय भेजने का प्रयास करने पर कुछ लाभ नहीं हुआ. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी माह में केरन कारी लाईन की असुर छात्र-छात्राएं लुकसान लाल बाहदुर शास्त्री स्मारक बंगला हिंदी विद्यालय में दाखिला लिया था. गांव से विद्यालय के दूरी करीब 10 किलोमीटर है.
चाय बागान से स्कूल बस होने पर भी पहले तीन किलोमीटर दूरी तय करने के बाद चाय बागान की फेक्ट्री लाईन से बस पकड़ना पड़ता है. अगर स्कूल बस छूट गया तो सात किलोमीटर पैदल चलकर विद्यालय आना पड़ता है. लुकसान स्कूल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केरन कारी लाइन और अन्य लाईन के कुल 29 असुर जाति के विद्यार्थी विद्यालय में अध्यन करते थे.
अब उनकी संख्या सिर्फ तीन या चार रह गयी है. कक्षा नौ में तीन विद्यार्थियों को सबूज साथी के तहत साईकल मिला था. एक के अलावा अन्य साईकिल लेने के लिए नहीं पहुंचे. विद्यालय के शिक्षक टिकाराम शर्मा ने बताया असुर जाति के निचले कक्षा के विद्यार्थी स्कूल आ रहे हैं. लेकिन ऊपरी कक्षा के विद्यार्थी कम आ रहे हैं.
केरन चाय बागान के श्रमिक नेता राम बडाईक ने बताया कि असुर विद्यार्थियों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है, यह हमारे लिए दुख दायक है. राज्य आदिवासी विकास एवं सांस्कृतिक परिषद के चेयरमैन बिरसा तिर्की ने कहा कि जानकारी लिये बिना कुछ नहीं कह सकते. जल्द ही मै वहां जाउंगा. विकास एवं सांस्कृतिक की ओर से असुर जाति के लिए कुछ विकासमूलक काम किया जाए, इस पर हम ध्यान देंगे .
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