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मालबाजार: सेतु बना नहीं, नौका आयी नहीं, संकट में ग्रामीण

मालबाजार : भूटान के पहाड़ में अधिक वर्षा होने से ही नागराकाटा ब्लॉक अंतर्गत बहने वाली डायना नदी का जलस्तर बढ़ जाता है. इस वजह से खेरकाटा गांव के निवासियों को यातायात में काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है. खासतौर पर इन दिनों डायना में बढ़े हुए जलस्तर के चलते विद्यार्थियों का स्कूल जाना […]

मालबाजार : भूटान के पहाड़ में अधिक वर्षा होने से ही नागराकाटा ब्लॉक अंतर्गत बहने वाली डायना नदी का जलस्तर बढ़ जाता है. इस वजह से खेरकाटा गांव के निवासियों को यातायात में काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है.
खासतौर पर इन दिनों डायना में बढ़े हुए जलस्तर के चलते विद्यार्थियों का स्कूल जाना बंद हो गया है. आये दिन उम्मीद लगी रहती है कि प्रशासन की तरफ से नाव की व्यवस्था कर दी जायेगी, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं. नदी में पानी कम रहने की स्थिति में स्कूली विद्यार्थी अपनी साइकिल कंधे पर ढोकर नदी पार कर जाते हैं. लेकिन बरसात में यह संभव नहीं होता. इस वजह से इलाके के करीब 200 से अधिक स्कूली विद्यार्थियों का स्कूल जाना बंद हो गया है. उल्लेखनीय है कि डायना नदी पर सेतु बनवाने की मांग काफी पुरानी है.
प्रशासन की तरफ से नाव मंगायी गई है, यह खबर फैलने के बाद हर रोज विद्यार्थी स्कूल के टाइम पर डायना नदी के किनारे जमा हो जाते हैं, लेकिन नाव नहीं देखकर मायूस होकर वापस लौट जाते हैं. अब अगर नागराकाटा होकर ये विद्यार्थी स्कूल जायें तो 40 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है, जबकि नाव रहने से डायना नदी पारकर केवल चार किलोमीटर दूरी तय कर धूपगुड़ी ब्लॉक के नाथुआ या नागराकाटा ब्लॉक के धूमपाड़ा में कम खर्च से जाया जा सकता है. स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता दसाई उरांव ने बताया कि भूटान के पहाड़ में अधिक वर्षा होने से ही डायना नदी का जलस्तर बढ़ जाता है. कुछ दिनों पहले तक स्कूली विद्यार्थी कंधे पर साइकिल लादकर नदी पार कर जाते थे. लेकिन अभी के आखिरी बरसात में यह संभव नहीं.
इस बीच, नाव भी नहीं है जिसके चलते महीने भर से स्कूली विद्यार्थियों का स्कूल जाना बंद है. उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से अगर नाव की व्यवस्था होती है, तो विद्यार्थी स्कूल जा सकेंगे. स्थानीय माकपा नेता मोहम्मद लतीफ ने बताया कि गांव के एक निवासी के पास नाव थी, बरसात में वे स्थानीय लोगों को डायना नदी पार कराते थे, लेकिन नाव के टूट-फूट जाने से यह साधन भी अब नहीं रहा. एक नाव बनाने में न्यूनतम 50 हजार रुपये का खर्च आता है.
हमलोगों ने सेतु निर्माण के लिए प्रशासन से आवेदन किया था. उसके बाद आश्वासन भी मिला, लेकिन सेतु निर्माण की दिशा में कोई पहल होते हुए नहीं दिखी. बरसात में कम से कम सेतु नहीं, तो नाव की व्यवस्था हो जाती तो बच्चे स्कूल जा सकते थे.
माल महकमा के एसडीओ सैयद एन ने बताया कि यह सही है कि डायना सेतु के निर्माण के लिए उनके पास लोग आये थे. उन्होंने इस बारे में शीर्ष अधिकारियों को अवगत कराया है.
बरसात में नाव की व्यवस्था करवाने का भी प्रयास किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि नागराकाटा ब्लॉक अंतर्गत दुर्गम गांव खेरकाटा के स्कूली विद्यार्थी डायना नदी के उस पार धूपगुड़ी ब्लॉक के धापीदेवी गर्ल्स स्कूल, बानियापाड़ा ब्यॉज स्कूल में पढ़ाई करते हैं. इसके अलावा नागराकाटा ब्लॉक अंतर्गत नलिनी रंजन माध्यमिक शिक्षा केन्द्र (एमएसके) में पढ़ाई करते हैं.

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