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ग्वालपोखर : सैकड़ों वर्ष पुराने स्वास्थ्य केंद्र में नहीं मिलती 24 घंटे सेवा
ग्वालपोखर : ब्रिटिश जमाने में बने स्वास्थ्य केंद्र में आज भी चिकित्सकीय सेवा नियमित नहीं है. यहां के मरीज आज भी 24 घंटा सेवा से वंचित हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार एक जमाना था जब ब्रिटिशन शासन में गोपालपुर थाने से घोड़े पर सवार होकर चिकित्सक आते थे. दिन में ही वे मरीजों को देखकर […]
ग्वालपोखर : ब्रिटिश जमाने में बने स्वास्थ्य केंद्र में आज भी चिकित्सकीय सेवा नियमित नहीं है. यहां के मरीज आज भी 24 घंटा सेवा से वंचित हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार एक जमाना था जब ब्रिटिशन शासन में गोपालपुर थाने से घोड़े पर सवार होकर चिकित्सक आते थे. दिन में ही वे मरीजों को देखकर और दवा वगैरह लिखकर चले जाते थे.
देश को आजाद हुए करीब 70 साल से अधिक हो गये. लेकिन आज भी ग्वालपोखर ब्लॉक अंतर्गत गोआगांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.
यहां आज तक चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिये आवासीय घर नहीं बन सके. नतीजा है कि ग्वालपोखर ब्लॉक स्वास्थ्य केंद्र से एक चिकित्सक बारी बारी से सुबह 10 बजे आते हैं और 12 बजे के भीतर वापस लौट जाते हैं. चूंकि यहां रहने के लिये कोई व्यवस्था नहीं है. यहां आने वाली नर्स भी दोपहर एक बजते बजते वापस लौट जाती हैं. इस संबंध में चिकित्सकों और नर्स की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी.
स्थानीय निवासियों ने बताया कि नर्स ने उन्हें बताया है कि दोपहर एक बजे के बाद इस्लामपुर लौटने के लिये कोई बस नहीं है. इसीलिये उन्हें समय रहते घर लौट जाना होता है. वहीं, ग्वालपोखर के बीएमओ डॉ. रामेश्वर घोष ने इस बारे में कोई मंतव्य करने से इंकार किया. स्थानीय एवं स्वास्थ्य विभाग के सूत्र के अनुसार इस स्वास्थ्य केंद्र पर 30-40 गांवों के लोग निर्भर हैं. लेकिन प्रतिदिन दो ढाई घंटे से अधिक सेवा नहीं मिलती है.
लोधन स्थित ब्लॉक स्वास्थ्य केंद्र से दो तीन चिकित्सकों में से कोई एक बारी बारी से गोआगांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आते हैं. कई कई रोज तो यहां चिकित्सक आते ही नहीं हैं. यहां के लिये एक पूर्णकालिक चिकित्सक की तैनाती हुई थी. लेकिन कई माह बाद ही उनका तबादला चाकुलिया कर दिया गया. उसके बाद से ही यह समस्या है.
स्थानीय निवासी फनिश सिंह ने बताया कि लंबे समय से यहां के ग्रामीण अस्पताल में 24 घंटा सेवा और प्रसव की व्यवस्था की मांग करते रहे हैं. लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. राज्य सरकार उन्हें संस्थागत प्रसव के लिये प्रोत्साहित करती है. लेकिन उसके लिये अस्पताल में ढांचा ही नहीं है. इसलिये उन्हें बाध्य होकर दाईयों पर निर्भर होना पड़ता है. इस वजह से अक्सर बच्चा व जच्चा की मौत हो जाती है. रात विरात उन्हें इमरजेंसी सेवा के लिये 48 किमी दूर इस्लामपुर या 65 किमी दूर रायगंज जाना पड़ता है.
ग्वालपोखर से विधायक एवं पंचायत व ग्रामोन्नयन राज्य मंत्री गोलाम रब्बानी ने बताया कि संबंधित विभाग को अस्पताल की अव्यवस्था के बारे में बताया गया है.
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