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सिर्फ तारीख पर तारीख से नाराज चाय श्रमिक

चाय श्रमिक संगठनों का हुआ पारा गरम 23 से तीन दिवसीय औद्योगिक हड़ताल सिलीगुड़ी : चाय श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी को लेकर बैठक की तारीखों का सिलसिला अभी भी जारी है. न्यूनतम मजदूरी के लिए फिर एक बार 12 जुलाई को कोलकाता में बैठक करने की तिथि निर्धारित की गयी है. इसके बाद फिर 17 […]

चाय श्रमिक संगठनों का हुआ पारा गरम
23 से तीन दिवसीय औद्योगिक हड़ताल
सिलीगुड़ी : चाय श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी को लेकर बैठक की तारीखों का सिलसिला अभी भी जारी है. न्यूनतम मजदूरी के लिए फिर एक बार 12 जुलाई को कोलकाता में बैठक करने की तिथि निर्धारित की गयी है.
इसके बाद फिर 17 जुलाई को उत्तरकन्या में एक और बैठक की जायेगी. तारीख पर तारीख मिलने से चाय बागान श्रमिक संगठनों का एक बड़ा भाग नाराज है. इसी वजह से चाय बागान श्रमिक संगठनों की ज्वाइंट फोरम ने 23 जुलाई से तीन दिवसीय ओद्योगिक हड़ताल का आह्वाण किया है. इसकी जानकारी देने के लिए लिए 9 जुलाई को ज्वाइंट फोरम की ओर से सरकार को नोटिस दिया जायेगा.
जबकि बुधवार की त्रिपक्षीय बैठक में राज्य के श्रम आयुक्त जावेद अख्तर ने हड़ताल वापस लेने की अपील श्रमिक संगठनों से की है. वहीं तृणमूल समर्थित चाय श्रमिक संगठन ने हड़ताल का विरोध किया है.
पिछले कई वर्षों से उत्तर बंगाल के चाय श्रमिक न्यूनतम मजदूरी की मांग कर रहे हैं. लेकिन अब तक उनके हाथ सिर्फ तारीख ही लगी है. बुधवार को भी न्यूनतम मजदूरी को लेकर सिलीगुड़ी स्थित मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में त्रिपक्षीय बैठक की गयी.
इस बैठक में राज्य श्रम विभाग के आयुक्त जावेद अख्तर सहित अन्य अधिकारी, टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया की कोलकाता शाखा के प्रतिनिधि, उत्तर बंगाल चाय बागानों के मालिक , चाय श्रमिक संगठन ज्वाइंट फोरम की ओर से जिया उल आमल, समन पाठक व तृणमूल चाय मजदूर यूनियन के उपाध्यक्ष प्रभात मुखर्जी व अन्य उपस्थित थे. लेकिन आज की बैठक का भी कोई नतीजा नहीं निकला. आज की बैठक में न्यूनतम मजदूरी को लेकर काफी देर तक बहस हुयी. बल्कि राज्य सरकार द्वारा श्रमिकों के लिए घोषित 17.50 रूपए अंतरिम को लेकर भी काफी बहस हुयी. लेकिन बहस का कोई निर्णय नहीं निकला.
श्रम विभाग भी अंतरिम के 17.50 रूपए का हिसाब देकर श्रमिक संगठन को संतुष्ट नहीं करा पायी. बल्कि 2015 के अप्रैल के बजाए 2018 के जनवरी से लागू करने का मसला भी साफ नहीं हुआ. इसके अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा कानून के लागू होते ही राशन बंद करने के मसले का भी कोई हल नहीं निकला. बैठक के बाद ज्वाइंट फोरम के जिया उल आलम ने बताया कि बैठक का कोई मतलब नहीं रह गया है.
न्यूनतम मजदूरी को लेकर बुलायी गयी बैठकों का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है. आज फिर से एक अगली तारीख मिली है. श्री आलम ने आगे कहा न्यूनतम मजदूरी की मांग पर सरकारी गतिविधि ही विवादास्पद है. श्रमिकों को 17.50 रूपए का अंतरिम देने का फैसला सरकार का है,लेकिन यह आंकड़ा और 2018 के जनवरी से चालू करने का रहस्य अब तक साफ नहीं किया गया.
जबकि त्रिपक्षीय समझौता 2015 के मार्च को ही समाप्त हो गया. वहीं दूसरी तरफ खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद से श्रमिकों को बागान की ओर से राशन नहीं दिया गया है. इस मसले का भी हल नहीं निकला है. सरकार श्रमिकों का पेट काटकर मालिकों को लाभान्वित कर रही है.
उन्होंने आगे बताया कि श्रमिको की न्यूनतम मजदूरी की मांग को लेकर 23 से 25 जुलाई तक तीन दिवसीय उद्योग हड़ताल का ऐलान किया गया है. चाय उद्योग का उत्तर बंगाल की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ता है. इसलिए इस स्ट्राइक को सफल बनाने के लिए उत्तरबंग वासियों व व्यवसायियों से अपील की गयी है.
क्या कहना है श्रम आयुक्त का
बैठक के बाद राज्य के श्रम आयुक्त जावेद अख्तर ने बताया कि न्यूनतम मजदूरी को लेकर आज त्रिपक्षीय बैठक की गयी. राज्य सरकार भी न्यूनतम मजदूरी के पक्ष में है. न्यूनतम मजदूरी के लिए सरकार ने एक कमेटी का भी गठन किया है. जिसमें सरकारी अधिकारियों के अलावे चाय बागान श्रमिक संगठन के 10 प्रतिनिधियों को भी शामिल किया है. 12 मार्च को इस कमेटी की बैठक भी हुयी है.
न्यूनतम मजदूरी के अलावा भी श्रमिकों की स्वास्थ, शिक्षा सहित अन्य सुविधाओं को भी ध्यान में रखा गया है. 12 जुलाई को कोलकाता में न्यूनतम मजदूरी कमिटी की बैठक बुलायी गयी है. इसके बाद 17 जुलाई को फिर से उत्तरकन्या में त्रिपक्षीय बैठक की जायेगी. बैठक में उन्होंने ज्वाइंट फोरम द्वारा बुलायी गयी हड़ताल को सरकार की ओर से वापस लेने की अपील की है.
क्या कहना है टी एसोसिएशन का
टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया कोलकाता शाखा के महासचिव प्रवीर कुमार भट्टाचार्य ने बताया कि स्ट्राइक से सभी का नुकसान होता है. इसीलिए स्ट्राइक को वापस लेने की मांग की गयी है. न्यूनतम मजदूरी की मांग पर स्ट्राइक का कोई मतलब नहीं है, इसका हल बैठक व विचार-विमर्श से ही निकलना है. तृणमूल चाय श्रमिक संगठन के उपाध्यक्ष प्रभात मुखर्जी ने बताया कि न्यूनतम मजदूरी को लेकर सरकार कार्य कर रही है. श्रमिक व स्टाफ को अंतरिम भी दिया है. 12 व 17 जुलाई की बैठक में नया निर्णय होने की संभावना है.

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