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जानवरों के अस्तित्व पर मंडरा रहा है खतरा, डुवार्स की नदियों में फिर बढ़ी खनन माफिया की सक्रियता
मयनागुड़ी : डुवार्स की विभिन्न नदियों से जंगल होते हुए अवैध रूप से बालू पत्थर की ढ़ुलाई का काम जोर-शोर से जारी है. पिछले कुछ वर्षों से बालू माफिया इस पूरे इलाके में सक्रिय हो गए हैं. जिसकी वजह से जंगली जानवरों के रहन-सहन पर भारी असर पड़ रहा है. इसके अलावा अवैध खुदाई से […]
मयनागुड़ी : डुवार्स की विभिन्न नदियों से जंगल होते हुए अवैध रूप से बालू पत्थर की ढ़ुलाई का काम जोर-शोर से जारी है. पिछले कुछ वर्षों से बालू माफिया इस पूरे इलाके में सक्रिय हो गए हैं. जिसकी वजह से जंगली जानवरों के रहन-सहन पर भारी असर पड़ रहा है. इसके अलावा अवैध खुदाई से नदी के गतिपथ में भी परिवर्तन होने की संभावना है. यदि ऐसा होता है तो जंगली इलाके नदी में समा जाएंगे. स्थानीय लोगों ने कई बार इस बात की शिकायत वनमंत्री से की है. उसके बाद ही कोई कार्यवाही नहीं की गई.
आरोप है कि कई शिकारी भी जंगली इलाके में सक्रिय हैं. उल्लेखनीय है कि डुवार्स का इलाका जंगलों से भरपूर है. गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान से लेकर छोटे-छोटे कई जंगल हैं. डायना, रेती, पानजुड़ा,राजाभातखावा आदि जंगल इलाके से कई नदियां गुजरती हैं. जिनमें जलढाका, मूर्ति डायना, जयंती आदि नदी प्रमुख है. इन्हीं नदियों से गैंडा, हाथी, जंगली भैंसे, तेंदुए आदि जानवर पानी पीते हैं. इन नदियों में आजकल बालू पत्थर की खुदाई का काम जोर शोर से चल रहा है. जिसकी वजह से जंगली जानवर पानी के लिए नदी में आने से कतराने लगे हैं. हर हमेशा ही यहां ट्रकों एवं ट्रैक्टरों की भरमार लगी रहती है. पर्यावरण प्रेमी संगठनों ने भी इस पर अपनी चिंता जताई है. हाल में ही कुछ पर्यावरण प्रेमी संगठनों ने मिलकर एक अभियान चलाया था. उसके बाद ही पता चला कि नदियों से बालू पत्थर की अवैध ढुलाई के कारण जंगली जानवरों पर प्रभाव पड़ रहा है. इसके साथ ही दिन भर बड़ी गाड़ियों की आवाजाही के आवाज से जंगली जानवरों का जंगल में रहना दूभर हो गया है.
पर्यावरण प्रेमियों ने इस मामले में राज्य सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की है. दूसरी ओर राज्य के वनमंत्री विनय कृष्ण वर्मन ने इस मामले में कहा कि उन्हें भी कई पर्यावरण प्रेमी संगठनों द्वारा इस प्रकार की शिकायत मिली है. यह सच में काफी चिंताजनक है. उन्होंने तत्काल ही इस मामले में कार्रवाई का भरोसा दिलाया है.
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