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सिलीगुड़ी : खाली जमीन पर खेती के लिए हर सुविधा देंगे : आशीष बनर्जी

मंत्री ने उत्तर बंगाल में खेती-किसान का लिया जायजा उत्तरकन्या में हुई बैठक में वैकल्पिक कृषि पर जोर सिलीगुड़ी : किसानों की स्थिति समझने के लिए राज्य के कृषि मंत्री आशीष बनर्जी उत्तर बंगाल दौरे पर हैं. उत्तर बंगाल के कई जिलों का दौरा करने के बाद शनिवार को उन्होंने सिलीगुड़ी स्थित मिनी सचिवालय उत्तरकन्या […]

मंत्री ने उत्तर बंगाल में खेती-किसान का लिया जायजा
उत्तरकन्या में हुई बैठक में वैकल्पिक कृषि पर जोर
सिलीगुड़ी : किसानों की स्थिति समझने के लिए राज्य के कृषि मंत्री आशीष बनर्जी उत्तर बंगाल दौरे पर हैं. उत्तर बंगाल के कई जिलों का दौरा करने के बाद शनिवार को उन्होंने सिलीगुड़ी स्थित मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में एक बैठक की.
इस बैठक में किसानों को घाटे से बचाने के लिए बाजार नियंत्रण व वैकल्पिक कृषि पर जोर देने का निर्णय लिया गया है. बैठक में उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष, वन मंत्री विनय कृष्ण वर्मन भी उपस्थित थे. इसके अलावा खगेश्वर राय, मिताली राय सहित कई विधायकों व ग्राम पंचायत प्रधानों की भी उपस्थिति रही.
शनिवार को उत्तर बंगाल के पांच जिलों कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, दार्जिलिंग व कालिम्पोंग को लेकर बैठक हुई. इन जिलों की खेती व किसानों की मौजूदा हालात पर चर्चा हुई. किस जिले में कितने जमीन पर खेती होती है और खेती की कितनी जमीन खाली पड़ी है, इसका ब्योरा प्रत्येक जिले के कृषि कार्यालय से मांगा गया है.
कृषि मंत्री ने उत्तर बंगाल के विभिन्न जिले का दौरा कर वहां की कृषि व किसानों की स्थिति का जायजा लिया है. शनिवार को उन्होंने राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव के साथ सिलीगुड़ी से सटे दागापुर स्थित किसान मंडी का भी परिदर्शन किया.
कृषि मंत्री आशीष बनर्जी ने बताया कि किसानों को घाटे से मुक्ति दिलानी होगी. हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार में राज्य के किसानों को पहले से तीन गुणा अधिक आय हो रहा है. लेकिन अभी भी खेती की काफी जमीन खाली पड़ी है. उसे उपयोग में लाने के लिए हर सुविधा मुहैया कराने का निर्देश जिला प्रशासन के साथ कृषि व सिंचाई विभाग को दिया गया है.
खर्च कर कर किसानों की आय बढ़ाने के लिए वैकल्पिक खेती की योजना अपनाने की जरूरत है. इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित करना होगा. एक फसल के साथ ही दूसरी फसल या एक के कटने के बाद दूसरे फसल की बोआई करने की व्यवस्था करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही बाजार पर भी नियंत्रण करने की जरूरत है.
बैठक में उपस्थित राज्य कृषि विभाग के सलाहकार प्रदीप मजूमदार ने बताया कि खाली पड़ी जमीनों के उपयोग से खेती का दायरा बढ़ेगा. इससे किसानों को भी लाभ होगा. जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों पर अत्याधुनिक मशीनों व ट्रैक्टरों से कार्य करना कठिन होता है, वहीं जमीन के बड़े टुकड़े पर यह संभव है.
कृषि की नयी तकनीक व मशीनों के उपयोग से लागत कम होता है. साथ ही उत्पादन भी बढ़ता है. इसके साथ ही मौसम आधारित कृषि के बदले वैकल्पिक कृषि पर जोर देना होगा. जैसे मकई के साथ साग-सब्जी का भी उत्पादन संभव है. इससे किसानों को लाभ होगा. एक फसल काटे जाने के साथ ही जमीन में दूसरी फसल की बोआई करने से वर्ष में दो के बदले तीन फसलों का उत्पादन किया जा सकता है.

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