सिलीगुड़ी: दाजिर्लिंग संसदीय क्षेत्र में चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद गोजमुमो तथा तृणमूल समर्थकों के बीच झड़प की कई घटनाएं घट रही हैं. आने वाले दिनों में ऐसी घटनाओं के और बढ़ने की आशंका को देखते हुए पहाड़ पर तृणमूल कांग्रेस के कई नेता भूमिगत हो गए हैं. इतना ही नहीं, लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार वाइचुंग भूटिया के समर्थन में खुलकर काम करने वाले तृणमूल समर्थक भी डरे हुए हैं.
ऐसे लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया है. 16 मई को मतगणना के बाद दाजिर्लिंग संसदीय क्षेत्र से गोजमुमो समर्थित भाजपा उम्मीदवार एस.एस. अहलुवालिया की जीत हुई है. जबकि तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार तथा प्रख्यात फुटबॉलर वाइचुंग भुटिया तमाम प्रयासों के बावजूद यहां से नहीं जीत सके. इसके बाद से ही पर्वतीय क्षेत्र में आये दिन झड़प की घटनाएं हो रही हैं. इसकी शुरूआत मिरिक से हुई. मतगणना के दिन ही देर रात को मिरिक में तृणमूल कांग्रेस तथा गोजमुमो समर्थकों के बीच हिंसक झड़प में कई लोग घायल हो गए थे. उसके बाद कालिम्पोंग तथा मंगपू आदि स्थानों में दोनों गुटों के बीच हिंसक झड़प होने की खबर है.
मंगपू में तो तृणमूल कांग्रेस पर ही गोजमुमो के कार्यालय पर कब्जा करने का आरोप लगा है. उसके बाद से पर्वतीय क्षेत्र में स्थिति बिगड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है. तृणमूल कांग्रेस के नेताओं एवं समर्थकों को लग रहा है कि गोजमुमो समर्थक और भी अधिक भड़केंगे. इन लोगों को जवाबी कार्रवाई की आशंका सता रही है. इसी वजह से पहाड़ पर तृणमूल कांग्रेस के कई नेता और समर्थक भूमिगत हो गए हैं. वर्तमान में गोजमुमो के तीनों प्रमुख नेता बिमल गुरूंग, रोशन गिरी तथा विनय तामंग दाजिर्लिंग में नहीं हैं. यह सभी एनडीए की बैठक में भाग लेने के लिए नयी दिल्ली गये हुए हैं. हालांकि इन लोगों ने अपने समर्थकों से शांति बनाये रखने की अपील की है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वर्ष 2009 में गोजमुमो के गठन से लेकर अब तक के उनके रिकार्ड को देखते हुए लगता नहीं है कि शांति की अपील का विशेष असर होगा, क्योंकि गोजमुमो का विरोधियों को पूरी तरह से खत्म करने का रिकार्ड रहा है.
सामाजिक बहिष्कार, घर का घेराव, धरना-प्रदर्शन आदि कार्यक्रमों के जरिये हमेशा से ही गोजमुमो के लोग विरोधियों का सफाया करते रहे हैं. यहां तक कि करीब 20 साल तक दाजिर्लिंग गोरखा हिल काउंसिल के जरिये पहाड़ पर राज करने वाले जीएनएलएफ सुप्रीमो सुवास घीसिंग की भी एक नहीं चली थी. वह खुद ही पहाड़ पर अपना घर-वार छोड़कर जाने के लिए विवश हो गए थे. दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र के एक और प्रमुख शक्ति अभागोली अध्यक्ष मदन तामंग भी शुरू से ही गोजमुमो के विरोधी रहे. एक दिन दिन-दहाड़े दाजिर्लिंग के चौक बाजार में मदन तामंग की हत्या हो गई. इस मामले में गोजमुमो प्रमुख बिमल गुरूंग भी आरोपी हैं. कुछ इसी तरह की घटनाओं के कारण ही यहां तृणमूल के नेताओं एवं समर्थकों में आतंक का माहौल है. पुलिस को भी आने वाले दिनों में हिंसक झड़पों के और भी अधिक बढ़ने की आशंका है. पुलिस ने पर्वतीय क्षेत्र में हर तरफ ही सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किये जा रहे हैं. चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद पर्वतीय क्षेत्र से अर्धसैनिक बलों को रवाना हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐहतियात के तौर पर अर्धसैनिक बलों की तीन कंपनियों को रिजर्व रखा गया है. दाजिर्लिंग, कर्सियांग तथा कालिम्पोंग में एक-एक कंपनी अर्धसैनिक बल के जवान हैं. इन्हें किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए हर वक्त तैयार रहने के लिए कहा गया है. दाजिर्लिंग के पुलिस अधीक्षक अखिलेश चतुव्रेदी का कहना है कि पूरे मामले पर पुलिस की नजर है एवं एहतियात के दौर पर सभी आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं.