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बांग्ला स्कूलों के अस्तित्व पर मंडराया संकट

सिलीगुड़ी : बांग्ला मीडियम के स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है. एक तरह से कहें तो बांग्ला मीडियम के स्कूलों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है. यही स्थिति बनी रही तो बांग्ला मीडियम के सरकारी स्कूलों को बंद करने तक की नौबत आ सकती है. वर्तमान में […]

सिलीगुड़ी : बांग्ला मीडियम के स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चों की संख्या लगातार कम हो रही है. एक तरह से कहें तो बांग्ला मीडियम के स्कूलों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है. यही स्थिति बनी रही तो बांग्ला मीडियम के सरकारी स्कूलों को बंद करने तक की नौबत आ सकती है. वर्तमान में इन स्कूलों में विद्यार्थियों का टोटा पड़ गया है. नये विद्यार्थियों के नामांकन में भारी कमी आयी है.
आठवीं कक्षा तक पास-फेल सिस्टम बंद करने के बाद भी सरकारी स्कूलों में नामांकन का प्रतिशत लगातार घट रहा है. छात्र-छात्राओं के अभाव में सिलीगुड़ी शिक्षा जिला के अंतर्गत कुछ स्कूलों में ताले भी लग चुके हैं. कई स्कूल ऐसे हैं जहां विद्यार्थी नाम मात्र के बचे है. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रवींद्र नगर हाई स्कूल में पांचवी कक्षा में इस बार सिर्फ 19 विद्यार्थियों ने दाखिला लिया है. इसी तरह से जगदीश चंद्र विद्यापीठ में भी इस बार 10 से 12 विद्यार्थियों ने नामांकन करवाया है.
जबकि रवींद्र नगर हाई स्कूल में 30 और जगदीश चंद्र विद्यापीठ में 25 शिक्षक-शिक्षिकाएं नियुक्त हैं. ऐसे में 5 वर्ष बाद इन स्कूलों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. दूसरी ओर बांग्ला मीडियम के मुकाबले हिंदी व नेपाली स्कूलों में बच्चों की संख्या काफी है. मिली जानकारी के अनुसार सिलीगुड़ी देशबंधु हाइ स्कूल में 2000 से अधिक, भारती हिंदी विद्यालय में भी 2000 के करीब, राजेंद्र प्रसाद गर्ल्स स्कूल, हिंदी हाई स्कूल फॉर ब्यॉज व गर्ल्स आदि में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है.हिंदी मीडियम के स्कूलों में नामांकन के लिए कतार में इतने विद्यार्थी खड़े हैं कि उन्हें बैठाने की जगह नहीं है.
ऐसे बांग्ला मीडियम के सभी स्कूलों की हालत ऐसी नहीं है. सिलीगुड़ी मे अभी भी ऐसे कई बांग्ला मीडियम स्कूल हैं जहां अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन कराना चाहते हैं. सिलीगुड़ी गर्ल्स, सिलीगुड़ी ब्वॉयज, वरदाकांत आदि बांग्ला मीडियम स्कूलों में प्रत्येक वर्ष नामांकन की होड़ लगती है.इसबीच,बांग्ला मीडियम के स्कूलों में नामांकन की लगातार कम होती संख्या के मद्देनजर स्कूलों का अस्तित्व बचाये रखने के लिए राज्य सरकार ने अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई का निर्णय लिया. राज्य शिक्षा विभाग ने इसी शिक्षा सत्र से सिलीगुड़ी गर्ल्स स्कूल, सिलीगुड़ी ब्यॉज स्कूल सहित कूचबिहार, बालुरघाट, रायगंज आदि के कई स्कूलों में पांचवी कक्षा से अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई शुरू करने का निर्देश दिया.
निर्देश मिलते ही इन स्कूलों ने अंग्रेजी मीडियम से पांचवी कक्षा में नामांकन लेना शुरू कर दिया है. इन स्कूलों ने सरकार से अन्य बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने की मांग रखी है.उसके बाद सिलीगुड़ी गर्ल्स में 29 व सिलीगुड़ी ब्यॉज हाइ स्कूल में 30 विद्यार्थियों ने अंग्रेजी मीडियम में दाखिला लिया है.इसके अलावा विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए मुफ्त में किताबें देने आदि सहित कई सरकारी योजनाएं भी चलायी जा रही है. हांलाकि यह योजनाएं बच्चों को आकर्षित नहीं कर पा रही है. अभिभाभवकों तथा शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि अंग्रेजी मीडियम से शिक्षा पाने की ललक के कारण बांग्ला मीडियम के स्कूलों की हालत ऐसी हुई है. इसी बात को फायदा अंग्रेजी स्कूल भी उठा रहे हैं. उनकी फी काफी महंगी होती है फिर भी हर अभिभावक अपने बच्चों को इन्हीं स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं.इसी के बदौलत अंग्रेजी मीडियम के स्कूल चांदी काट रहे हैं.
इस संबंध में सिलीगुड़ी जिला शिक्षा परिषद का कहना है कि अंग्रेजी मीडियम में पढ़ने का नशा सा छा गया है. बांग्ला भाषी अधिकांश छात्र-छात्राओं का रूझान अंग्रेजी मीडियम की तरफ हो रहा है. अंग्रेजी मीडियम के स्कूल कुकुरमुत्ते की तरह फैल रहे हैं. बिना किसी अनुमति के ही हर गली में स्कूल खुल रहे हैं. ऐसे में अभिभावक व बच्चे भी अंग्रेजी मीडियम से अधिक आकर्षित हो रहे हैं. इधर,सरकारी स्कूलों को बचाने के लिए राज्य सरकार ने भी अंग्रेजी मीडियम शुरू करने का निर्णय लिया है. सिलीगुड़ी के दो स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम की शुरूआत भी हो गयी है. अगले सत्र से औैर भी स्कूलों में अंग्रेजी मीडियम पढ़ाई शुरू कराये जाने की संभावना है.

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