मालदा : जोहरातला कालीबाड़ी में वैशाखी पूजा की शुरुआत हो गयी है. इस मौके पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है. हर साल ही यहां भारी संख्या में भक्त पूजा देने आते हैं. इस साल भी काफी संख्या में भक्त पूजा के लिए आ रहे हैं, लेकिन घोड़ागाड़ी को कोई नहीं पूछ रहा. टोटो चालकों को सहज ही यात्री मिल रहे हैं, लेकिन घोड़ागाड़ी पर बैठने को यात्री तैयार नहीं. इससे घोड़ागाड़ी चालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. उनका का कहना है कि बरसों से जोहरा कालीबाड़ी तक घोड़ागाड़ी से ही जाने की परंपरा है. लेकिन अब वक्त बदल गया है.
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टूट रही परंपरा, घोड़ागाड़ी की जगह भा रही टोटोगाड़ी
मालदा : जोहरातला कालीबाड़ी में वैशाखी पूजा की शुरुआत हो गयी है. इस मौके पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है. हर साल ही यहां भारी संख्या में भक्त पूजा देने आते हैं. इस साल भी काफी संख्या में भक्त पूजा के लिए आ रहे हैं, लेकिन घोड़ागाड़ी को कोई नहीं पूछ रहा. टोटो […]
टोटो का किराया कम है और मंदिर पहुंचने में समय भी कम लगता है, जबकि घोड़ागाड़ी में समय ज्यादा लगता है और किराया भी अधिक है. इसीलिए लोग घोड़ागाड़ी के स्थान पर टोटा से जाना पसंद कर रहे हैं. मालदा शहर से सात किलोमीटर दूर इंग्लिशबाज़ार ब्लॉक की यदुपुर 2 नंबर ग्राम पंचायत के अधीन भारत-बांग्लादेश सीमा पर का जोहरा कालीमंदिर स्थित है. हर साल वैशाख महीने में यहां बड़े मेले का आयोजन होता है. एक महीने तक चलनेवाले इस मेले में भक्तों की भारी भीड़ लगती है. इस साल भी ऐसा ही आलम है.
भक्तों को आने-जाने के लिए टोटो तथा घोड़ागाड़ी की सुविधा है. टोटो चालक प्रति यात्री 50 रुपये लेते हैं, जबकि घोड़ागाड़ी चालक प्रति व्यक्ति 150 रुपयें ले रहे हैं. कम किराया होने के कारण आम लोग टोटो की सवारी करना पसंद करते हैं. संकट से जूझ रहे एक घोड़ागाड़ी चालक स्वरूप मंडल ने बताया है कि हर साल बैसाख महीने में काफी अच्छी कमाई हो जाती थी. लेकिन इस बार फांका करने की नौबत है. इसी तरह की बातें घोड़ागाड़ी चालक विराज सिंह ने भी कही हैं. उसका कहना है कि टोटो का किराया बहुत कम है. इतना कम किराया लेने हमारे लिए संभव नहीं है. उन्होंने भी कहा कि घोड़ागाड़ी से जाकर पूजा देने की यहां मान्यता है.
300 सालों से चल रही है परंपरा
इधर, मंदिर के प्रमुख पुजारी अतुल तिवारी का कहना है कि 300 साल से इस काली बाड़ी में पूजा करने की परंपरा चल रही है. वैशाख महीने में ही नहीं, बल्कि पूरे साल यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है. खासकर मंगलवार तथा शनिवार को. उन्होंने भी घोड़ागाड़ी चालकों की समस्या पर अपनी चिंता प्रकट की है.
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