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छोटी खिलौना रेलगाड़ी का बड़ा किराया
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने किराया कम करने का दिया संकेत सेकेंड क्लास के डब्बे भी लगाये जायेंगे, मिलेगी राहत विपिन राय सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के अधिन विश्व प्रसिद्ध खिलौना रेलगाड़ी यानी ट्वॉय ट्रेन की सवारी करना इनदिनों पूरी तरह से जेब कटाने जैसा है. गोरखालैंड आन्दोलन के बाद दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे(डीएचआर) सेक्शन […]
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने किराया कम करने का दिया संकेत
सेकेंड क्लास के डब्बे भी लगाये जायेंगे, मिलेगी राहत
विपिन राय
सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के अधिन विश्व प्रसिद्ध खिलौना रेलगाड़ी यानी ट्वॉय ट्रेन की सवारी करना इनदिनों पूरी तरह से जेब कटाने जैसा है. गोरखालैंड आन्दोलन के बाद दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे(डीएचआर) सेक्शन फिर से ट्वॉय ट्रेन के शुरू होते ही इसके किराये को लेकर भी चर्चा शुरू हो गयी.
हांलाकि इसका किराया पिछले वर्ष तभी बढ़ गया था जब पटरियों की मरम्मत के बाद दोबारा इस ट्रेन की आवाजाही शुरू हुई. उस समय गोरखालैंड आंदोलन की सुगबुगाहट शुरू हो गयी थी. तब अधिक पर्यटक ना तो यहां आ रहे थे और ना ही इस ट्रेन की यात्रा कर रहे थे. गोरखालैंड आंदोलन जब चरम पर पहुंचा तो डीएचआर सेक्शन पर आंदोलनकारियों ने कई स्टेशनों में आग लगा दी थी.
करीब 104 दिनों तक पहाड़ बंद था. तब यह ट्रेन भी बंद की दी गयी थी. अब जब गोरखालैंड आंदोलन खत्म हो गया है और पहाड़ पर शांत है तो वहां हर दिन ही भारी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं. जब यह पर्यटक ट्वाय ट्रेन की सवारी के लिए टिकट कटाने जाते हैं तो 1300 रुपये सुन कर ही होश हवा हो जाता है. जो सक्षम हैं वह तो टिकट कटा लेते हैं, लेकिन जो परिवार कम बजट में पर्यटन के लिए आते हैं वह बस ट्वाय ट्रेन को देखकर और इसके आसपास तस्वीर खिंचाकर ही संतोष कर लेते हैं.
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के इस ट्वाय ट्रेन को विश्व धरोहर का दर्जा मिला हुआ है. देश विदेश में दार्जिलिंग की लोकप्रियता इस ट्वाय ट्रेन की वजह से भी है. खासकर विदेशी इसके काफी अधिक कायल है. आलम यह है कि कई बार विदेशी मेहमान आकर पूरे ट्वाय ट्रेन को ही रिजर्व कर लेते हैं. इसे चार्टर्ड ट्रेन कहा जाता है.
उन्हें ट्वाय ट्रेन की सवारी करने में ज्यादा पैसा खर्च कर भी कोई परेशानी नहीं है. समस्या देशी पर्यटकों को है, जो कभी कभार बचत के पैसे से घूमने निकलते है. मिली जानकारी के अनुसार न्यू जलपाईगुड़ी से लेकर दार्जिलिंग तक ट्वाय ट्रेन के एक टिकट की कीमत लगभग 1300 रुपये हैं. यदि पांच सदस्यों का कोई परिवार दार्जिलिंग घूमने आये और ट्वाय ट्रेन की सवारी करे तो 6500 रुपये सिर्फ इसी में खर्च हो जायेंगे. जबकि इतने रुपए में दो दिनों तक पूरे दार्जिलिंग शहर को देखा जा सकता है. इस ट्रेन की यात्रा करने वाले कई यात्रियों ने रेलवे के इस मनमाने किराये के खिलाफ रोष भी प्रकट किया है.
रेल यात्रियों का कहना है कि राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसा किराया रेलवे वसूल रही है लेकिन किसी प्रकार की सुविधा नहीं दी जाती है. राजधानी एक्सप्रेस में यदि दामी टिकट लेकर रेल यात्रा की जाये तो चाय नाश्ते से लेकर खाने पीने तक की व्यवस्था रेलवे द्वारा की जाती है.
जबकि डीएचआर के इस ट्वाय ट्रेन में मात्र 70 किलोमीटर के लिए 1300 रुपए का किराया चुकाने के बाद भी खाना पीना तो दूर की बात चाय पानी की व्यवस्था तक रेलवे की ओर से नहीं की जाती है. एक अनुमान के मुताबिक एनजेपी से लेकर दार्जिलिंग तक की दूरी यह ट्रेन करीब 8 घंटे में पूरी करती है. रास्ते में नाम के कई स्टेशन भी है. लेकिन कहीं भी खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं होती. ऐसे में जो रेल यात्री ट्वाय ट्रेन का मजा लेने के लिए इसकी सवारी करते हैं,उनका ये मजा किरकिरा हो जाता है. खासकर बच्चे तो काफी परेशान होते है.
जबकि रेलवे बच्चों का भी पूरा किराया वसूल करती है. हाफ टिकट की व्यवस्था इस ट्रेन में है ही नहीं. पिछले काफी दिनों से इस बात की शिकायत रेलवे से की जा रही थी. अब लगता है रेलवे की नींद टूटी है. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने कहा है कि ट्वाय ट्रेन का किराया कम करने पर विचार किया जा रहा है.
इसके साथ ही सेकेंड क्लास के कोच भी ट्वाय ट्रेन में लगाये जायेंगे. जिससे कम किराये पर भी पर्यटक तथा रेलयात्री इस विश्व प्रसिद्ध खिलौना रेल गाड़ी का मजा ले सकते है. श्री लोहानी मंगलवार को डीएचआर सेक्शन के दौरे पर आये हैं. वह खिलौना रेल गाड़ी से ही डीएचआर सेक्शन पर गए. उन्होने रेल यात्रियों की सुविधाओं को बढ़ाने के साथ ही इस ट्रेन को सुचारु रुप से चलाने को लेकर कई घोषणाएं की. संवाददाताओं से बातचीत में श्री लोहानी ने कहा कि इस ट्रेन को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया है. इस दर्जे को कायम रखने के लिए सभी जरुरी काम किये जायेंगे.
तीनधरिया वर्कशॉप का लिया जायजा
श्री लोहानी ने ट्वॉय ट्रेन के तीनधरिया वर्कशॉप का भी जायजा लिया. इस वर्कशॉप को उन्होंने अगले छह महीने में दो बस देने की भी घोषणा की. उन्होंने यहां वर्कशॉप के अधिकारियों तथा इंजीनियरों के साथ एक बैठक भी की. उन्होंने यह भी कहा कि कर्मचारियों की क्षमता बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजा जायेगा.
आजादी के पहले की वर्दी पहनेंगे कर्मचारी
ट्वाय ट्रेन को विश्व धरोहर का दर्जा मिला हुआ है.इस दर्जे को कायम रखने के लिए रेलवे अपनी ओर से सभी कोशिश करती है. इसमें एक और कोशिश शामिल हो गया है. डीएचआर सेक्शन पर रेल कर्मचारी अब आजादी के पहले जिस प्रकार की वर्दी में थे,उसी प्रकार की वर्दी में अब नजर आयेंगे. यह घोषणा भी श्री लोहानी ने की.
स्टीम इंजनों का होगा कायाकल्प
श्री लोहानी ने डीएचआर के स्टीम इंजनों के कायाकल्प करने की भी घोषणा की. उन्होंने कहा कि सभी 14 स्टीम इंजनों का कायाकल्प किया जायेगा.उन्होंने स्टीम इंजन के एयर ब्रेक को औरमजबूत करने की बात कही.इस सिस्टम को आधुनिक किया जायेगा.
यूनेस्को के अधिकारियों के साथ बैठक
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन श्री लोहानी ने कर्सियांग में यूनेस्को के अधिकारियों के साथ भी बैठक की.यूनेस्को अधिकारियों ने उनको एक प्रेजेंटेशन भी दिया. श्री लोहानी ने रेलवे की ओर से हरसंभव सहयोग का भरोसा दिया. इसके साथ ही उन्होंने कर्सियांग में नगरपालिका के अधिकारियों,वहां के नागरिकों आदि के साथ भी बैठक की और उनके विचार जाने.
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