सिलीगुड़ी: पहाड़ों की रानी दार्जिलिंग की सैर ‘टॉयट्रेन’ के बैगर अधूरी है. जंगल, नदियां व पहाड़ों की हसीन वादियों के सुहाने सफर के लिए देशी- विदेशी सैलानियों के मुख्य आकर्षण में से एक टॉयट्रेन भी है.
ब्रिटिश युग में शुरू हुई यह हेरिटेज टॉयट्रेन का सिलीगुड़ी से परिचालन पिछले तीन वर्षो से बंद था. नतीजन सैलानी टॉयट्रेन के सुहाने सफर का लुत्फ उठाने से वंचित हो रहे थे. सरकार को भी आय में भारी क्षति हो रही थी. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो, बारिश के मौसम से पहले ही यह सेवा फिर से शुरु होने की संभावना है.
ट्रेन बंद होने की वजह
तीन वर्ष पहले पहाड़ पर हुए भूस्खलन के दौरान पगलाझोड़ा स्टेशन के नजदीक नैरो गेज की रेलवे ट्रेक कई मीटर तक धंस गयी थी. फलस्वरुप, टॉयट्रेन का परिचालन कई महीनों तक पूरी तरह बंद था. बाद में टॉयट्रेन को ‘जंगल सफारी’ का नाम देकर सिलीगुड़ी से सुकना, रंगटंग होते हुए घैयाबाड़ी स्टेशन तक चलाया गया. बाद में घैयाबाड़ी स्टेशन से पगलाझोड़ा स्टेशन के बीच करीब छह किलोमीटर रेलवे ट्रेक के क्षतिग्रस्त होने का प्रभाव भी इसके परिचालन पर पड़ा. हांलाकि कार्सियांग से दार्जिलिंग- घुम स्टेशन तक टॉयट्रेन की सेवा जारी रही. लेकिन सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग तक की सीधी सेवा अब तक बंद है.
क्या बोले अधिकारी
रेलवे के एडीआरएम (कटिहार) डीएस कुनयार का कहना है कि बारिश का मौसम शुरु होने से पहले ही टॉयट्रेन को पगलाझोड़ा के रास्ते सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग- घुम स्टेशन तक वापस शुरू हो जाने की संभावना है. श्री कुनयार ने बताया कि सैलानियों के विशेष आकर्षण को देखते हुए टॉयट्रेन को अब ‘रेड पांडा’ के नाम से चलाने का प्रयास जारी है. वहीं, दार्जिलिंग-हिमालयन रेलवे (डीएचआर) के क्षेत्रिय अधिकारी ने कहा कि भूस्खलन में केवल रेल ट्रेक ही क्षतिग्रस्त नहीं हुई थी. राष्ट्रीय राजमार्ग-55 भी बुरी तरह नष्ट हुआ था. सड़क निर्माण व मरम्मति का कार्य भी अब प्राय: अंतिम चरण पर है. काम पूरा होने के साथ ही पगलाझोड़ा से रेल मार्ग व सड़क मार्ग दोनों ही सेवा शुरु हो जायेगी.सिलीगुड़ी से फिर से इस सेवा के शुरू होने की खबर से पर्यटक तथा पर्यटन ब्यवसाय से जुड़े लोग गदगद हैं.