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बौर से लदे लीची के पेड़, बंपर उत्पादन की संभावना
पुराना दस साल का रिकार्ड टूटेगा खाद को लेकर अभी से ही सतर्कता उद्यान विभाग ने शुरू किया जागरूकता अभियान किसानों से रसायन का उपयोग नहीं करने की अपील दो साल पहले लीची खाकर काफी बच्चे हुए थे बीमार मालदा. आम के बाद इस साल मालदा में लीची की फसल भी अच्छी होने की संभावना […]
पुराना दस साल का रिकार्ड टूटेगा
खाद को लेकर अभी से ही सतर्कता
उद्यान विभाग ने शुरू किया जागरूकता अभियान
किसानों से रसायन का उपयोग नहीं करने की अपील
दो साल पहले लीची खाकर काफी बच्चे हुए थे बीमार
मालदा. आम के बाद इस साल मालदा में लीची की फसल भी अच्छी होने की संभावना है, क्योंकि जिस तरह से आम के पेड़ मंजरों ले लदे हुए हैं उसी तरह से लीची के पेड़ में भी भारी मात्रा में फूल लगे हैं. कुछ दिनों बाद ही इन फूलों से लीची का दाना निकलने लगेगा. उद्यान पालन विभाग का भी मानना है कि यदि मंजर नहीं गिरे तो इस साल लीची के बंपर पैदावार की संभावना है.
इसके साथ ही विभागीय अधिकारियों ने रसायन का प्रयोग नहीं करने की किसानों को हिदायत दी है. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि मालदा जिले के कालियाचक-1, 2 तथा 3 नंबर ब्लॉक में बड़े पैमाने पर लीची की खेती होती है. एक अनुमान के मुताबिक मालदा जिले में 12 हजार हेक्टेयर जमीन पर लीची की खेती की जाती है. खासकर कालियाचक इलाके में लीची के काफी पेड़ हैं. अच्छे उत्पादन के लिए जिस आवोहवा की आवश्यकता होती है, वह अभी है. मौसम को लेकर कोई परेशानी नहीं है. यदि ओलावृष्टि या आंधी-तूफान जैसी स्थिति नहीं हुई, तो इस साल लीची का रिकार्ड उत्पादन होगा. पिछले 10 साल से भी ज्यादा लीची उत्पादन की संभावना है.
उल्लेखनीय है कि दो साल पहले कालियाचक इलाके में लीची खाकर काफी बच्चे बीमार पड़ गये थे. तब बताया गया था कि खाद तथा रसायन के अत्यधिक उपयोग के कारण इस प्रकार की घटना घटी है. इस साल पहले से ही किसानों को चेताया जा रहा है. उद्यान पालन तथा स्वास्थ्य विभाग की ओर से मालदा के ग्रामीण इलाकों में प्रचार-प्रसार का काम चल रहा है. इसके साथ ही किसानों को लीची की खेती सही तरीके से करने के लिए जानकारी दी जा रही है. अधिकारियों ने जैविक खाद के प्रयोग पर जोर दिया. अधिकारियों का कहना है कि जैविक खाद के प्रयोग से स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होता है.
आम तौर पर लीची बागान में काफी बच्चे खेलने आते हैं. कुछ बच्चे असमय लीची को खा भी लेते हैं. रासायनिक खाद के प्रयोग से ऐसे बच्चे बीमार हो सकते हैं. अभिभावकों को भी इसको लेकर समझाया जा रहा है. लीची को अच्छी तरह से धोकर खाना चाहिए. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया है कि लीची में प्राकृतिक तौर पर ही हाईकोवलाइसी नामक एक रासायन होता है. यदि कच्ची लीची को खाया जाये तो बच्चों में शुगर लेवल बहुत गिर जाता है. बच्चे को तब उल्टियां होने लगती है.
इस साल ऐसी कोई दुखद स्थिति पैदा न हो, इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. उद्यान पालन विभाग के निदेशक राहुल चक्रवर्ती ने कहा है कि इस साल चीनी के अच्छे सफल की उम्मीद है. कालियाचक इलाके में लोगों के अंदर लीची को लेकर एक डर बना होता है. इसी को ध्यान में रखकर प्रचार अभियान चलाया जा रहा है.
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