लापरवाही. सिस्टर निवेदिता का समाधि स्थल जर्जर
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राय विला संवरा अब ‘मुर्दाहाटी’ को है तारणहार का इंतजार
लापरवाही. सिस्टर निवेदिता का समाधि स्थल जर्जर देखरेख पर किसी का ध्यान नहीं सरकारी विभागों ने भी बनाई दूरी अगम सिंह गिरि की समाधि भी है उपेक्षित राज्य सरकार से उपयुक्त कदम उठाने की गुहार सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग स्थित सिस्टर निवेदिता के घर व देश की धरोहर को राज्य की मुख्यमंत्री ने संवार दिया है. […]
देखरेख पर किसी का ध्यान नहीं
सरकारी विभागों ने भी बनाई दूरी
अगम सिंह गिरि की समाधि भी है उपेक्षित
राज्य सरकार से उपयुक्त कदम उठाने की गुहार
सिलीगुड़ी : दार्जिलिंग स्थित सिस्टर निवेदिता के घर व देश की धरोहर को राज्य की मुख्यमंत्री ने संवार दिया है. लेकिन उनकी समाधि व प्रतिमा को जीर्णोद्धार का इंतजार है. राय विला की देखरेख कर रहे रामकृष्ण आश्रम के महाराज नित्य सत्यानंद ने गोरखा क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए), जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार से भी निवेदिता की समाधि के जीर्णोद्धार की गुहार लगायी है. सिस्टर निवेदिता के साथ वहां स्थापित अन्य कई महापुरूषों की समाधि को संवारने से देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षित होने की संभावना है.
स्वामी विवेकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता से सभी परिचित हैं. दार्जिलिंग में उनका घर माना जाने वाला रायविला की भी एक लंबी कहानी है. राय विला सिस्टर निवेदिता का नहीं बल्कि पेड़ो में भी जीवन होने की सीख दुनिया को देने वाले महान वैज्ञानिक डा. जगदीस चंद्र बसु की पत्नी अबला बसु के एक रिश्तेदार की है. सिस्टर निवेदिता जब भी दार्जिलिंग आती थी, इसी राय विला में रहती थी. 43 वर्ष की उम्र में वर्ष 1911 के 13 अक्टूबर को निवेदिता ने राय विला में ही अंतिम सांस ली थी.
उनकी मृत्यु के बाद से राय विला को सिस्टर निवेदिता का ही घर माना जाने लगा. विश्व धरोहर यह राय विला की हालत काफी खराब थी. करीब तीन वर्ष पहले राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राय विला को संवारा. इसके देखरेख की जिम्मेदारी रामकृष्ण मिशन को सौंप दी गयी. वर्तमान में मिशन के महाराज नित्या सत्यानंद जी राय विला की देखरेख कर रहे हैं. उन्होंने ने ही दार्जिलिंग के मुर्दाहाटी स्थित सिस्टर निवेदिता की समाधि को संवारने की गुहार जिला प्रशासन से लेकर सरकार तक लगायी है. जीटीए व पर्यटन मंत्रालय ने जल्द ही उनकी समाधि संवारने का कार्य शुरू करने का आश्वासन भी दिया है.
दार्जिलिंग शहर से करीब ढ़ाई किलोमीटर दूर मुर्दाहाटी नामक एक श्मशान घाट है. सिस्टर निवेदिता का पार्थिव शरीर मुर्दाहाटी में ही पंचतत्व में विलीन हुआ. यहां उनकी समाधि भी बनायी गयी थी. जो कि अब जर्जर हो चली है. मुर्दाहाटी में सिर्फ इनका ही नहीं वरण अन्य महान लोगों की भी समाधि है. जिसमें से अगम सिंह गिरि की समाधि भी इतिहास व पर्यटन के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. स्वर्गीय अगम सिंह गिरि एक ऐसे इंसान थे जिन्हें प्रथम भानु पुरस्कार से नवाजा गया था.
अगम सिंह ने भी नेपाली साहित्य के महान कवि भानुभक्त की तरह ही महारथ हासिल की थी. स्वर्गीय अगम सिंह गिरि गोजमुमो प्रमुख बिमल गुरूंग के दाहिना हाथ माने जाने वाले रोशन गिरि के दादा जी हैं. इनके अतिरिक्त राहुल सांस्कृतयायन की भी समाधि भी यहीं है. उनकी ‘भोल्गा से गंगा’ नामक किताब काफी प्रसिद्ध हुयी है. अपने जीवन का 45 वर्ष इन्होंने भ्रमण में बिता दिया था. गंगा के उद्गम से लेकर अंतिम छोर तक इन्होंने पैदल यात्रा कर इस किताब की रचना की थी.
इन सभी की समाधि के उपर पीपल के पेड़, घास, शैवाल आदि उग आये हैं. जन्म दिन व पुण्यतिथि पर इन सभी को याद किया जाता है. समाधि और इनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण आदि किया जाता है. लेकिन इसे संवारने का जिम्मा अभी तक किसी ने नहीं लिया.
क्या कहते हैं विनय तमांग
इस संबंध में जीटीए के चेयरमैन विनय तमांग ने बताया कि पहले राय विला की देखरेख भी जीटीए की की ओर से की जाती थी. लेकिन लापरवाही व उदासिनता के चलते इस धरोहर को बचाने के लिए जीटीए की कुर्सी पर बैठे लोगों ने कोई पहल नहीं की. और समय के साथ इसकी हालत खराब होती जा रही है. बाद में राज्य की मुख्यमंत्री ने इसे जीटीए से लेकर संवारा और देखरेख की जिम्मेदारी रामकृष्ण मिशन को सौंप दी. दार्जिलिंग ऐसे ही विश्व प्रसिद्ध नहीं है. इसका अपना एतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व है. सिस्टर निवेदिता सहित अन्य कई महान पुरूषों की समाधि मुर्दाहाटी में है. जिसका जीर्णोद्धार किया जाना है. जीटीए इस दिशा में भी अवश्य ध्यान देगी. जिससे इसकी दशा बदली जा सकेगी.
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