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बार एसोसिएशन ने दी आंदोलन की चेतावनी

सिलीगुड़ी कोर्ट. रिकॉर्ड रूम की हालत खराब, कीड़े-मकोड़ों के अंडो से भरी हैं जरूरी फाइलें छोटा कोर्ट में रूम बदबू से बैठ पाना मुश्किल इंसाफ के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं फरियादी सिलीगुड़ी : इंसाफ के लिए नागरिक अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं, जबकि रिकॉर्ड रूम व अन्य ढांचागत बुनियादी सुविधा के अभाव में लोग […]

सिलीगुड़ी कोर्ट. रिकॉर्ड रूम की हालत खराब, कीड़े-मकोड़ों के अंडो से भरी हैं जरूरी फाइलें

छोटा कोर्ट में रूम बदबू से बैठ पाना मुश्किल
इंसाफ के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं फरियादी
सिलीगुड़ी : इंसाफ के लिए नागरिक अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं, जबकि रिकॉर्ड रूम व अन्य ढांचागत बुनियादी सुविधा के अभाव में लोग इंसाफ से वंचित हो रहे हैं. कोर्ट रूम, रिकॉर्ड रूम सहित अन्य ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन ने कई बार आंदोलन किया है, जिसका अब तक कोई परिणाम नहीं निकला है. इस दिशा में अविलंब कोई कदम नहीं उठाये जाने पर सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन ने फरवरी के दूसरे सप्ताह से जोरदार आंदोलन शुरू करने की धमकी दी है.
सिलीगुड़ी अदालत का हाल अब काफी खस्ता हो चला है. वर्षों पहले बनी अदालत की बिल्डिंग अब जर्जर होने लगी है. मामलों का फैसला जिस कमरे में किया जा रहा है, बदबू की वजह से बैठना मुश्किल है. सबसे खस्ता हाल रिकॉर्ड रूम का है. सिलीगुड़ी अदालत का रिकॉर्ड रूम कागजों से भरा पड़ा है. कागज के साथ कीड़े-मकोड़े, चूहे, छिपकली आदि की वजह से कमरा इतना बदबूदार हो चला है कि रिकॉर्ड रूम में बैठकर काम करने वाली कर्मचारी मास्क पहनने को मजबूर हैं.
किसी कागताज के लेन-देन को लेकर रिकॉर्ड रूम में जाने वाले वकील व पुलिस कर्मी भी नाक पर रूमाल या मास्क लगाकर जाते हैं. आलम यह है कि रिकॉर्ड रूम में अब और कागजात रखने की जगह नहीं हैं. पहले से रखे व विचाराधीन मामलों के कागजात स्वत: ही नष्ट हो रहे हैं. किसी कागजात की स्याही उड़ जाती है, तो किसी को चूहे कुतर देते हैं. वहीं वर्षों से बंद पड़े फाइलों में छिपकली व तिलचट्टों के अंडे के बजाए कुछ नहीं मिलता है. हजारों की संख्या में ऐसे मामले हैं जो कागजात न मिलने की वजह रद्द हो गये, अथवा उसकी तारीख बढ़ रही है. वहीं रिकॉर्ड रूम में आवश्यक कर्मचारियों का पद भी खाली है. जिसकी वजह से इंसाफ की फरियाद लेकर अदालत आने वाले नागरिकों का मामला अचानक ही रद्द हो जाता है. तो कभी मामले से संबंधित कागजात खोजने पर नहीं मिलते हैं.
बार एसोसिएशन कई बार कर चुका है आंदोलन
देर से न्याय मिलना भी फरियादी के साथ किया गया अन्याय ही माना गया है. जबकि सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन ने सिलीगुड़ी अदालत की बुनियादी ढांचागत व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाया है. बार एसोसिएशन के अनुसार इंसाफ की गुहार लगाने वाले नागरिकों का देश के संविधान से आस्था उठ रहा है. अदालत के बुनियादी ढांचागत व्यवस्था के अभाव में वकील फरियादी से आंख नहीं मिला पा रहे हैं. इन सुविधाओं के विकास में सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन ने कई बार आंदोलन किया. बीते 8 दिसंबर को भी एक दिन का कर्म विराम पालन किया गया था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
कागजात खोजने में लग जाता है काफी समय
बुधवार को सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पियूष कांति घोष ने बताया कि रिकॉर्ड रूम की हालत खस्ता हो चली है. कागज रखने की जगह नहीं है. विचाराधीन मामलों से संबंधित कागजात खोजने पर नहीं मिलते हैं. कागजातों में खोजने में इतना समय लगता है कि तब तक वह मामला रद्द कर दिया जाता है. कागजात न मिलने पर फरियादी को कुछ समय तक तारीख पे तारीख मिलती है फिर मामला रद्द हो जाता है. किसी कागजात की प्रति के लिए आवेदन करने पर कर्मचारी के अभाव में महीनों गुजर जाता है. अवस्था ऐसी हो चली है कि वकील अपने क्लाइंट से नजरें नहीं मिला पा रहे हैं. इंसाफ तो दूर कागजात व केस की तारीख ही नहीं मिलती है. नागरिको का संविधान से आस्था उठ रहा है. श्री घोष ने बताया कि इन बुनियादी ढांचागत व्यवस्था के विकास के लिए कई बार आंदोलन किया गया. कोलकाता हाई कोर्ट को मांग पत्र भी सौंपा जा चुका है. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हुयी. उन्होंने कहा कि फरवरी के प्रथम सप्ताह तक इस दिशा में कोई पहल न होने पर सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन आंदोलन पर उतरेगी.

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