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बंगाल : राष्ट्रपति का न्योता ठुकराने पर मजबूर पद्मश्री करीमुल, टिकट के लिए भी पैसे नहीं

यात्रा के लिए टिकट के पैसे ही नहीं, कैसे जायेंगे दिल्ली गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शामिल होना है दिल्ली में रुकने की कोई व्यवस्था भी नहीं विपिन राय सिलीगुड़ी : डुआर्स में एम्बुलेंस दादा के नाम से मशहूर पद्मश्री करीमुल हक की खुशी का उस वक्त ठिकाना नहीं रहा, जब उन्हें नयी दिल्ली में आयोजित […]

यात्रा के लिए टिकट के पैसे ही नहीं, कैसे जायेंगे दिल्ली
गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में शामिल होना है
दिल्ली में रुकने की कोई व्यवस्था भी नहीं
विपिन राय
सिलीगुड़ी : डुआर्स में एम्बुलेंस दादा के नाम से मशहूर पद्मश्री करीमुल हक की खुशी का उस वक्त ठिकाना नहीं रहा, जब उन्हें नयी दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति भवन से चिट्ठी मिली. 26 जनवरी को सुबह राजपथ पर परेड के बाद शाम को राष्ट्रपति भवन में भी विशेष समारोह का आयोजन होता है. इसी समारोह में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से करीमुल हक को निमंत्रण पत्र भेजा गया है.
बड़े उत्साह से उन्होंने राष्ट्रपति भवन से आयी चिट्ठी खोली, पर आमंत्रण के साथ दिल्ली आने-जाने के लिए ट्रेन या हवाई जहाज का टिकट नहीं देख उनका उत्साह ठंडा पड़ गया है. करीमुल हक को यह समझ में नहीं आ रहा है कि वह आखिर दिल्ली कैसे जायें.
यहां उल्लेखनीय है कि पद्मश्री मिलने के बाद करीमुल हक का मान-सम्मान तो काफी बढ़ गया, लेकिन उनकी माली हालत जरा भी नहीं बदली है. वह पहले की ही तरह आज भी बेहद गरीब हैं. एक चाय बागान में प्रति माह मात्र पांच हजार रुपये की तनख्वाह पानेवाले करीमुल हक की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह दिल्ली आने-जाने का आरक्षित ट्रेन टिकट कटा सकें. अपने खर्च पर हवाई जहाज के टिकट की तो वह कल्पना भी नहीं कर सकते.
पद्म विजेताओं के लिए क्या है नियम
केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति पद्मश्री सम्मान तो दे दिया जाता है, लेकिन यह पुरस्कार पानेवाले व्यक्तियों को किसी प्रकार की कोई सुविधा या लाभ सरकार नहीं देती है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के नियमानुसार, पद्म पुरस्कार पानेवालों को ट्रेन या हवाई जहाज के टिकट में किसी रियायत की भी व्यवस्था नहीं है. पद्मश्री सम्मान पानेवाले लेटरपैड आदि में अपने नाम के आगे या पीछे पद्मश्री तक नहीं लिख सकते.
ड्रेस कोड के लिए कपड़े बनवाने की भी समस्या
करीमुल हक को जब राष्ट्रपति भवन का मोटा लिफाफा मिला तो उन्हें लगा कि समारोह में शामिल होने के लिए टिकट से लेकर सभी जरूरी पास वगैरह होंगे. लेकिन जब उन्होंने लिफाफा खोला, तो उसमें आमंत्रण पत्र के साथ राष्ट्रपति भवन के समारोह में शामिल होने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश संबंधी दस्तावेज निकले. कार पार्किंग का स्टीकर भी है.
एक-एक कर करीमुल हक इन कागजात को देखते रहे. सबकुछ था, बस टिकट ही नहीं था. इससे वह निराश हो गये. कुछ पल पहले वह जितने खुश थे, टिकट नहीं पाकर उतना ही उदास हो गये.
करीमुल हक ने बताया कि अपने खर्च पर दिल्ली जाने की उनकी हैसियत नहीं है. वह ट्रेन के सेकेंड क्लास का टिकट भी नहीं कटा सकते. उन्होंने प्रशासनिक मदद से दिल्ली जाने की कोशिश की.
वह जलपाईगुड़ी के जिलाधिकारी से दिल्ली आने-जाने के खर्च के इंतजाम करने के लिए मिले. वहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी है. जिला प्रशासन के पास इस तरह के कार्यक्रम में भेजने के लिए किसी फंड की व्यवस्था नहीं है. श्री हक अब एक तरह से दिल्ली जाने का विचार छोड़ चुके हैं. फिर भी यदि कोई मदद करता है, तो वह पत्नी के साथ समारोह में शामिल होने जाना चाहेंगे.
करीमुल की समस्या यहीं खत्म नहीं हो जाती. अगर वह किसी तरह से दिल्ली आने-जाने का टिकट जुगाड़ कर भी लेते हैं तो आखिर वहां रुकेंगे कहां. उन्हें जो चिट्ठी मिली है, उसके अनुसार उनको राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में शामिल होना है. उसके बाद की कोई व्यवस्था उनके लिए नहीं की गयी है. इतना ही नहीं, राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में शामिल होने के लिए कुछ प्रोटोकॉल भी निर्धारित होते हैं, जिसमें ड्रेसकोड भी है.
आमंत्रण पत्र के साथ करीमुल हक को जो दिशा-निर्देश राष्ट्रपति भवन की ओर से भेजा गया है, उसमें ड्रेसकोड भी है. करीमुल हक को राष्ट्रीय पोशाक अथवा लाउंज सूट में समारोह में शामिल होना होगा. करीमुल हक के लिए नये कपड़े की व्यवस्था करना भी कम समस्या नहीं है.

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