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एक साल से आयुष सेंटर बंद, दवा नष्ट

अव्यवस्था. एनआरएचएम का नहीं मिल रहा लाभ स्थायी नौकरी मिलते ही इकलौता डॉक्टर चले गये सिलीगुड़ी : राज्य सरकार पहले से बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का दावा कर रही है. केंद्र सरकार भी बेहतर चिकित्सा सेवा देने के लिए नेशनल अर्बन व रूरल हेल्थ मिशन चला रही है. अब इन योजनाओं का हाल क्या है […]

अव्यवस्था. एनआरएचएम का नहीं मिल रहा लाभ

स्थायी नौकरी मिलते ही इकलौता डॉक्टर चले गये
सिलीगुड़ी : राज्य सरकार पहले से बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का दावा कर रही है. केंद्र सरकार भी बेहतर चिकित्सा सेवा देने के लिए नेशनल अर्बन व रूरल हेल्थ मिशन चला रही है. अब इन योजनाओं का हाल क्या है और लोगों को कितना फायदा हो रहा है,इसको देखनेवाला कोई नहीं है. ताजा मामला सिलीगुड़ी से सटे फूलबाड़ी-1 नंबर ग्राम पंचायत का है. यहां नेशनल रूरल हेल्थ मिशन की हवा निकल गयी है. ग्राम पंचायत कार्यालय का होमियोपैथ सेंटर एक वर्ष से बंद पड़ा है. डॉक्टर के अभाव में इलाके के मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. पंचायत ने ब्लॉक मेडिकल अधिकारी से लेकर मंत्री तक गुहार लगायी है, लेकिन कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है.
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) चला रही है. इस योजना के तहत सभी ग्राम पंचायत इलाके में होमियोपैथ व एलोपैथ चिकित्सा केंद्र चलाये जा रहे हैं, लेकिन फूलबाड़ी-1 नंबर ग्राम पंतायत के अधीन होमियोपैथ चिकित्सा सेवा पिछले एक वर्ष से बंद है. होमियोपैथ सेंटर में रखी गयी करीब 25 हजार की दवाइयां खराब हो रही हैं, लेकिन इसे कोई देखनेवाला नहीं है. करीब एक वर्ष से इस सेंटर में होमियोपैथ का डॉक्टर नहीं है. मिली जानकारी के अनुसार इलाके के औसतन 15 मरीज रोजाना यहां इलाज कराने आते थे. एक वर्ष से सेंटर में ताला लगने के बाद मरीजों को अन्य होमियोपैथ डॉक्टरों की तलाश करनी पड़ रही है. कुछ ने तो अपना इलाज एलोपैथ से शुरू करा लिया है.
इसके अलावा मृतक के परिवार को डेथ सर्टिफिकेट देना भी ग्राम पंचायत के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गयी है. इस समस्या का समाधान के लिए ग्राम पंचायत प्रधान ने बीएमओएच व स्थानीय विधायक सहित राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव से गुहार लगायी है. बीएमओएच ने एक वैकल्पिक व्यवस्था की है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.
यहां बता दें कि एनआरएचएम मिशन के तहत फूलबाड़ी-1 नंबर ग्राम पंचायत कार्यालय में आयुष सेंटर भी खोला गया था. प्रत्येक ग्राम पंचायत इलाके में एस तरह के सेंटरो का संचालन जिला अस्पताल प्रबंधन करता है. इस सेंटर में बीएमओएच द्वारा अस्थायी रूप से डॉक्टरों की नियुक्ति की जाती है. डॉ सुनयन चौधरी यहां वर्ष 2012 से चिकित्सा सेवा दे रहे थे. वर्ष 2016 में बिना किसी लिखित जानकारी के वह सेंटर छोड़ कर चले गये. डॉक्टर साहब ने पंचायत प्रधान को सिर्फ इतना बताया कि उन्हें अन्यत्र कहीं इससे अच्छी स्थायी नौकरी मिल गयी है. डॉ सुनयन चौधरी के जाने के बाद आयुष सेंटर पूरी तरह से बिखर गया.
उनके जाने के बाद ग्राम पंचायत प्रधान ने बीएमओएच को समस्या से अवगत कराया. इसके बाद बीएमओच ने एमबीबीएस डॉक्टर के नेतृत्व में एक मेडिकल टीम का गठन किया. यह मेडिकल टीम प्रति शनिवार फूलबाड़ी-1 नंबर ग्राम पंचायत में चिकित्सा परिसेवा प्रदान करने पहुंचती है, लेकिन सप्ताह में एक दिन आनेवाले डॉक्टर का इंतजार कितने मरीज करेगें. पहले सप्ताह में पांचों दिन होमियोपैथ के डॉक्टर उपलब्ध होते थे.
डेथ सर्टिफिकेट मिलना हुआ मुश्किल
सबसे बड़ी समस्या डेथ सर्टिफिकेट बनाने को लेकर है. शव का अंतिम संस्कार करने के लिए डेथ सर्टिफिकेट होना आवश्यक है. पहले आयुष सेंटर के डॉक्टर ही डेथ सर्टिफिकेट जारी कर देते थे. उनके जाने के बाद से डेथ सर्टिफिकेट के लिए फूलबाड़ी-1 नंबर ग्राम पंचायत के लोगों को काफी दौड़-भाग करनी पड़ रही है. जबकि इस सेंटर के डॉक्टर पांच दिन के अलावा शनिवार व रविवार को भी डेथ सर्टिफिकेट दे देते थे.
मंत्री से लगायी गयी है गुहार
फूलबाड़ी-1 नंबर ग्राम पंचायत प्रधान तपन सिंह ने बताया कि आयुष सेंटर के डॉक्टर सुनयन चौधरी करीब एक वर्ष पहले यहां से चले गये. उन्हें कहीं स्थायी नौकरी मिल गयी. उनके जाने के बाद से यह सेंटर बंद पड़ा है. वहां करीब 25 हजार से अधिक की दवाइयां भी हैं, जो खराब हो रही है. उनके जाने से इलाका वासियों को डेथ सर्टिफिकेट देने में सबसे बड़ी समस्या हा रही है. चिकित्सा परिसेवा मुहैया कराने के लिए बीएमओच ने एक मेडिकल टीम गठित की है, जो प्रत्येक शनिवार को परिसेवा देने उपस्थित होती है. इस समस्या के स्थायी समाधान व सप्ताह भर चिकित्सा परिसेवा मुहैया कराने के लिए बीएमओएच व इलाके के विधायक तथा राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव से गुहार लगायी गयी है.

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