उल्लेखनीय है कि सन 1951 स्थापित यह स्कूल एनएच-10 के कालोझोड़ा से रम्फू समेत तक्लिंग, सोरेंग, मंगमाया आदि क्षेत्र के बच्चे पढ़ते हैं. सन 2002 में इस स्कूल को उच्चतर माध्यमिक का दर्जा मिलने के बाद भी यह आज भी समस्याओं से ग्रस्त है. इस स्कूल में सबसे बड़ी समस्या कमरों की है. कक्षा 6 से 9 तक कई सेक्शन में कक्षाएं बांटी गई हैं. हालांकि परन्तु कमरों की कमी के कारण सभी सेक्शन को एक ही कमरे में पढ़ाने की बाध्यता है.
जीटीए बोर्ड के चेयरमैन को ज्ञापन सौंपा गया. जिस स्कूल को मॉडल स्कूल बनाने का प्रस्ताव था उसकी तरफ आज किसी का ध्यान नहीं है. चूंकि आज इस स्कूल में ज्यादातर गरीब व कमजोर वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं. स्कूल में आज विज्ञान लैब नहीं है और न ही पुस्तकालय ही है. एक दफे एक क्लास में 90 से ज़्यादा विद्यार्थी के होने पर छोटे से कमरे में चल रहे कंप्यूटर क्लास में एक पीरियड में महज 12 बच्चे ही पढ़ सकते है.
स्कूल के प्रभारी शिक्षक टीटी लेप्चा ने बताया कि जीटीए के चेयरमैन से भेंट सकारात्मक रही. जीटीए बोर्ड पहाड़ के शैक्षिक विकास को लेकर हाल में अनेक कार्य कर रहा है. कार्यवाहक चेयरमैन विनय तमांग ने स्कूल की समस्याओं को सुनने के बाद ज्ञापन शिक्षा विभाग के कार्यकारी निदेशक एवं स्पेशल इंजीनियरिंग विभाग के कार्यकारी इंजीनियर को फॉरवर्ड कर दिया. भेंट के दौरान स्कूल पक्ष से प्रभारी शिक्षक टीटी लेप्चा, शिक्षक सीके ब्लोन, विशाल राई एवं राजेन छेत्री की मौजूदगी रही.