सिलीगुड़ी: राज्य में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में कल शुक्रवार को उत्तर बंगाल की चार लोकसभा सीटों मालदा उत्तर,मालदा दक्षिण,बालुरघाट तथा रायगंज में मतदान का काम संपन्न हो गया है.
छिटपुट घटनाओं को अगर छोड़ दें तो मतदान को शोतिपूर्ण ही कहा जा सकता है. शांतिपूर्ण मतदान के बाद एक ओर जहां प्रशासन ने राहत की सांस ली है. चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार भी कुछ रिलेक्स हो गए हैं. ये सभी उम्मीदवार पिछले करीब एक महीने से अपने चुनाव क्षेत्र में वोट मांगने के लिए सड़कों की धूल फांक रहे थे. अब सभी अपने-अपने घरों में आराम फरमा रहे हैं लेकिन चैन नहीं है. उनकी जीत होगी या नहीं इसको लेकर तरह-तरह से गुणा भाग कर रहे हैं.
उन्हें कहां लाभ हुआ होगा और कहां नुकसान,इसके कयास लगा रहे हैं. सबकी नजर इन चारों लोकसभा क्षेत्रों में हुयी बंपर वोटिंग पर भी लगी हुयी है. इसका उन्हें नुकसान होगा या फिर लाभ इसका हिसाब किताब कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर आमलोगों में भी चुनाव परिणाम को लेकर उत्सुकता है. उत्तर बंगाल की यह चारों लोकसभा सीटें अपने आप में महत्वपूर्ण है. वह इसलिए कि यहां की चार लोकसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस का कब्जा है.जबकि एक बालुरघाट सीट वामामोरचा के घटक दल आरएसपी के कब्जे में है. सत्तारूढ़ तृणमल कांग्रेस ने इस बार इन चारों सीटों पर खास तौर पर फोकस किया है. यही कारण है कि अर्पिता घोष,सौमित्र राय आदि जैसे जाने – माने चेहरों को चुनाव मैदान में झोंक दिया. अर्पिता घोष प्रख्यात नाट्यकर्मी हैं और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की काफी करीबी हैं.
वह यहां बालुरघाट से चुनाव लड़ रहीं हैं. दूसरा जाना-माना नाम सौमित्र राय का है जो मालदा उत्तर से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार है. सौमित्र जाने- माने भूमि बैंड के गायक हैं.उनके गरम चाय चुमूक दी आदि गाने काफी लोकप्रिय है और संभवत: उनकी इसी लोकप्रियता के सहारे एक सीट निकाल लेने की उम्मीद में ममता बनर्जी ने उन्हें टिकट दे दिया. सबसे पहले बालुरघाट लोकसभा सीट की बात करें तो तो यहां चारों लोकसभा सीटों में सर्वाधिक 83.36 प्रतिशत मतदान हुआ है. यहां मुकाबला चौतरफा है. भारी मतदान के दम पर अर्पिता यहां से जीत का दावा कर रही हैं. लेकिन उनके मन में थोड़ी आशंका भी है. चुनाव से ठीक पहले सारधा चिटफंड कांड की गूंज सामने आने से वह थोड़ी सी चिंतित भी हैं. क्योंकि इस मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने उन्हें बुलाया है. अब अगर बंपर वोटिंग का उन्हें लाभ होगा या नुकसान यह तो 16 मई को ही पता चलेगा.ऐसे राजनैतिक विेषकों का मानाना है कि बालुरघाट एक ऐसी जगह है जहां सारधा कांड का सबसे अधिक असर है. उस कंपनी में पैसा लगाने वालों में बालुरघाट के लागों की तदाद सर्वाधिक थी.
बालुरघाट के बाद सर्वाधिक मतदान मालदा उत्तर लोकसभा केंद्र में हुआ है. यहां मतदान का प्रतिशत 80.73 है. यहां भी भारी मतदान का लाभ किसको होगा इसको लेकर हिसाब किताब लगाए जा रहे हैं. वैसे यह कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. यहां से मौसम बेनजीर नूर वर्तमान में कांग्रेस की सांसद हैं. अब मालदा दक्षिण सीट की बात कर लें. मालदा दक्षिण सीट की भी यही स्थिति यही है. यहां 80.23 प्रतिशत मतदान हुआ है. यहां भी सभी प्रत्याशी अपने अपने तीज के दावे कर रहे हैं. वर्ष 2009 में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार आबु हासेम खान चौधर की हुयी थी. इस बार भी वह कांग्रेस की टिकट पर ही मैदान में हैं और उनका मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के मुअज्जम हुसैन,माकपा के अब्दुल हसनत खान और भाजपा के विष्णुप्रिय राय चौधरी से है.इस बार के चुनाव में अपेक्षाकृत सबसे कम मतदान रायगंज संसदीय क्षेत्र में हुआ है. यहां से कांग्रस उम्मीदवार दीपा दासमुंशी अपनी जीत का दावा कर रहे है. वह वर्तमान में यहां से सांसद भी है.वहीं तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार सत्य रंजन दासमुंशी को भी अपनी जीत का भरोसा है. उन्होंने कहा है कि वही इस चुनाव ने अपनी भाभी को पटकनी जरूर देंगे. ऐसे जीत का दावा माकपा के मो. सलीम और भाजपा के नीमू भौमिक भी कर रहे हैं. अब इन सब के दावों में कितनी सत्यता है,यह तो 16 मई को ही पता चलेगा जब चुनाव परिणाम सामने आयेंगे.