लंबे समय से इस सेतु की मरम्मत नहीं हुई है. सेतु की मरम्मत के लिए न तो राज्य और न ही केन्द्र सरकार सचेष्ट है. सेतु इतना जर्जर हो गया है कि स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह कभी भी टूट सकता है. ऐसे जोखिम भरे सेतु से होकर पर्यटकों को आवाजाही करनी पड़ रही है. उल्लेखनीय है कि एशिया के सबसे बड़े कुलिक पक्षी निवास के बीचो-बीच गुजरने वाली कुलिक नदी पर सेतु स्थित है. वहीं जाड़ा शुरू होते ही कुलिक पक्षी निवास को देखने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में पर्यटक आने लगते हैं.
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कुलिक सेतु बेहाल, पर्यटकों को परेशानी
रायगंज: कुलिक पक्षी निवास एशिया का विख्यात पक्षी अभयारण्य है. जिसे देखने के लिए देश-विदेश से हर साल बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. हालांकि यहां का कुलिक सेतु इन सैलानियों के अलावा सामान्य वाहनों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. लंबे समय से इस सेतु की मरम्मत नहीं हुई है. सेतु की मरम्मत के […]
रायगंज: कुलिक पक्षी निवास एशिया का विख्यात पक्षी अभयारण्य है. जिसे देखने के लिए देश-विदेश से हर साल बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. हालांकि यहां का कुलिक सेतु इन सैलानियों के अलावा सामान्य वाहनों के लिए सिरदर्द बना हुआ है.
उल्लेखनीय है कि इस बार कुलिक पक्षी निवास में प्रवासी पक्षियों का रिकार्ड संख्या में आगमन हुआ है. पक्षी निवास के सूत्रों के अनुसार, पिछले साल यहां 89 हजार प्रवासी पक्षी आये थे. इस साल यह संख्या बढ़कर 96 हजार 945 हो गई है. यहां ज्यादातर ओपेन बिल स्टॉर्क, नाइट हेरन, एग्रेट और कर्मारेंट जैसी चार प्रजातियों के प्रवासी पक्षी हर साल आते हैं. ये पक्षी जून-जुलाई में आकर यहां अपना बसेरा बनाते हैं. इनका मुख्य उद्देश्य गर्म इलाके में प्रजनन करना है. बरसात बीत जाने के बाद शरद ऋ तु के आगमन के समय इनके चूजे उड़ना सीख जाते हैं. उसके बाद दिसंबर के प्रथम सप्ताह में स्वदेश चले जाते हैं.
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