सिलीगुड़ी: स्थानीय लोगों के आंदोलन की वजह से जिला प्रशासन बांस का अस्थायी पुल तोड़ने के निर्णय से फिलहाल पीछे हट गया है. वैकल्पिक समाधान के लिए प्रशासन अपने स्तर पर विचार-विमर्श कर रहा है. पुलिस के साथ भी विचार किया जा रहा है. हालांकि, अंत में एनजीटी के निर्देश के मुताबिक अस्थायी सेतु को हटाया जाना तय है.
वहीं दूसरी तरफ स्थानीय लोग अपनी समस्या बताकर अस्थायी सेतु तोड़ने के खिलाफ अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं. गुरुवार को सिलीगुड़ी के निकट नौकाघाट के केलाबागानवासियों ने अस्थायी ब्रिज न तोड़ने के लिए सिलीगुड़ी महकमा शासक को ज्ञापन सौंप कर गुहार लगायी है.
उल्लेखनीय है कि नेशनल ग्रीन ट्राइबुनल (एनजीटी) ने महानंदा नदी की धारा अवरुद्ध न करने का निर्देश दिया है. इस निर्देश को लेकर बीते दिनों छठ पूजा के समय भारी बवाल मचा था. एनजीटी के निर्देश के अनुपालन के क्रम में दो दिन पहले ही सिलीगुड़ी नगर निगम के पांच नंबर वार्ड के रामघाट में महानंदा नदी पर बने पक्के सेतु के समानांतर बांस के अस्थायी पुल को हटाया गया. फिर नौकाघाट के निकट केलाबागान से गुजरनेवाली महानंदा नदी के ऊपर बने बांस के अस्थायी पुल को तोड़ने के लिए जिला प्रशासन तत्पर हुआ. लेकिन स्थानीय लोगों के आंदोलन से पुल तोड़ने पहुंची प्रशासनिक टीम को पीछे हटना पड़ा. वहां के लोगों ने अस्थायी पुल तोड़ने के पहले स्थायी पुल मुहैया कराने का हठ बांध लिया. गुरुवार को केलाबागान इलाके के लोगों ने सिलीगुड़ी महकमा शासक सिराज दानेश्वर को एक ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्या से अवगत कराया.
ज्ञापन सौंपने पहुंचे रण भौमिक सहित अन्य लोगों ने बताया कि केलाबागान इलाके में अस्थायी सेतु का निर्माण पिछले 40 वर्षों से भी अधिक समय से होता आ रहा है. यह सेतु इंद्रमोहन साहा के नाम से विख्यात है. उन्होंने ही इस अस्थायी सेतु की शुरुआत की थी. उनके स्वर्ग सिधारने के बाद उनकी पत्नी और बेटे ने इस व्यवसाय को बनाये रखा है. बारिश के समय जब पुल टूट जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है तो तपन साहा स्वयं यहां नाव चलाते हैं. वर्षा के समय नाव चलाना व अस्थायी सेतु संचालन के लिए फूलबाड़ी ग्राम पंचायत में डाक होती है. रामघाट इलाके में बना पांचवा महानंदा सेतु एक विकल्प है, लेकिन उसका कार्य पूरा नहीं हुआ है. कावाखाली इलाके में बने स्थायी पुल से होकर जाने के लिए केलाबागान गांव से कोई रास्ता नहीं है. माटीगाड़ा ग्राम पंचायत के पतिराम जोत होकर महानंदा नदी पर बने ब्रिज से होकर जाने के लिए यहां के लोगों को करीब आठ किलोमीटर का चक्कर काटना होता है. फलस्वरूप यह अस्थायी पुल ही इस इलाके का आसरा है. यदि प्रशासन इस पुल को तोड़ती है तो उसका विकल्प भी उन्हें ही देना होगा.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले दो वर्षों से फूलबाड़ी ग्राम पंचायत में इस अस्थायी पुल के निर्माण व संचालन के लिए कोई डाक नहीं हुई है. बल्कि इस पुल से होकर गुजरनेवालों से रुपया लिया जाता है. इस रुपया वसूली के खिलाफ शिकायत भी की गयी है. जबकि तपन साहा का कहना है कि बांस पुल के संचालन व समय-समय पर उसे ठीक करने के लिए रुपयों की आवश्यकता होती है. इसी वजह से आने-जानेवाले लोगों से न्यूनतम किराया लिया जाता है. इसके अतिरिक्त बारिश में मौसम में जब पुल टूट जाता है, तब नाव से आवाजाही करनेवालों से किराया लिया जाता है.
क्या कहते हैं एसडीओ
इस संबंध में सिलीगुड़ी महकमा शासक सिराज दानेश्वर ने बताया कि फिलहाल वह अस्थायी पुल नहीं तोड़ा जा रहा है. लेकिन एनजीटी का निर्देशानुसार प्रशासन काम कर रही है. स्थानीय लोगों की कुछ समस्या व शिकायतें हैं. पुलिस से भी विचार-विमर्श किया जा रहा है. समस्या का हल निकालने की कोशिश की जा रही है. जिला शासक व उत्तर बंगाल विकास मंत्री से विचार-विमर्श किया जा रहा है. समस्या समाधान होने के बाद एनजीटी के निर्देशानुसार अस्थायी बांस पुल हटा दिया जायेगा.