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सिलीगुड़ी: डेंगू के प्रकोप के बावजूद कई वार्डों में सफाई नहीं
सिलीगुड़ी: तकरीबन तीन महीने से जहां पूरा सिलीगुड़ी डेंगू के डंक से त्राहि-त्राहि कर कर रहा है, वहीं शहर में मौजूद गंदगी नगर निगम की भूमिका पर भी सवाल खड़ा कर रही है. शहरवासियों और विरोधियों का कहना है कि डेंगू को लेकर निगम कतई गंभीर नहीं है. वजह निगम की लापरवाही से शहर की […]
सिलीगुड़ी: तकरीबन तीन महीने से जहां पूरा सिलीगुड़ी डेंगू के डंक से त्राहि-त्राहि कर कर रहा है, वहीं शहर में मौजूद गंदगी नगर निगम की भूमिका पर भी सवाल खड़ा कर रही है. शहरवासियों और विरोधियों का कहना है कि डेंगू को लेकर निगम कतई गंभीर नहीं है. वजह निगम की लापरवाही से शहर की मुख्य सड़कें ही अघोषित डंपिंग ग्राउंड में तब्दील हो रही हैं. निगम क्षेत्र के कई ऐसे वार्ड हैं जहां मुख्य-मुख्य जगहों पर कचरा ढेर किया जाता है, लेकिन दिन के तीन बजे के बाद भी कचरा नहीं उठता.
वार्ड जो शहर को कर रहे बदसूरत
कई ऐसे वार्ड हैं जो शहर को बदसूरत कर रहे हैं. इनमें सात नंबर वार्ड के रेडलाइट एरिया के सामने विवेकानंद रोड, चार नंबर वार्ड के ज्योतिनगर कॉलोनी व अन्य, नौ नंबर वार्ड के एसएफ रोड स्थित माहेश्वरी सेवा सदन के नजदीक, तीन नंबर वार्ड के गुरुंगबस्ती बाजार, गुरुंगबस्ती अपर रोड, 46 नंबर वार्ड के चंपासारी बाजार, कच्चेमालों की मंडी रेगुलेटेड मार्केट व मार्केट के सामने हाइवे के किनारे, सेवक रोड स्थित माखन भोग के सामने, 42 नंबर वार्ड के गांधीनगर, प्रकाशनगर के बाजार इलाकों व अन्य क्षेत्रों के रिहायशी इलाकों एवं मुख्य सड़कों का यह आलम है. वहीं, निगम क्षेत्र के बस्ती वार्डों का तो इससे भी बुरा हाल है. एक, तीन, चार, पांच, छह, सात, 18, 20, 35, 36, 37 नंबर वार्ड के कई ऐसे बस्ती इलाके हैं जहां दिनभर तो क्या कई-कई दिनों तक कचड़ें नहीं उठते. इन बस्ती इलाकों में रहनेवाले गरीब जनता का रहना ही दूरभर हो रखा हैं.
क्या कहते हैं वार्ड वासी
वार्ड के लोगों का कहना है कि सड़कों और नालों की सफाई महीने भर में भी हो पाती है या नहीं सटीक कुछ कहा नहीं जा सकता. चार नंबर वार्ड के ज्योतिनगर कॉलोनी निवासी एक युवक भोला का कहना है कि नियमित साफ-सफाई न होने से यहां दिन में ही मच्छर डंक मारने से बाज नहीं आते और न ही ये मच्छर रात में चैन की नींद सोने देते हैं. वहीं, विवेक राय उर्फ बिकी का कहना है कि कचड़े न उठने और नालों आदि की नियमित सफाई न होने की वजह से हमेशा दुर्गंध फैलती रहती है. इस वजह से सड़कों पर चलना काफी मुश्किल हो जाता है. बिटू ठाकूर का कहना है कि मच्छर मारनेवाली दवाई, तेल स्प्रे, फोगिंग, बिल्चिंग पावडर आदि का भी छिड़काव कभीकभार ही होता है. जबकि शहर के कई ऐसे वार्ड हैं जो पॉश वार्डों में गिनती आते हैं ऐसे इलाकों में नियमित रुप से सफाई भी होती है और मच्छर भगाने वाले तेल वैगरह का हमेशा छिड़काव भी होता है.
विरोधियों ने वाम बोर्ड को बताया नाकाम
निगम के विरोधी दल ने वाम बोर्ड को नाकाम करार देते हुए आंदोलन करने की चेतावनी दी है. इस बाबत विरोधी दल के तृणमूल कांग्रेस (तृकां) नेता रंजन सरकार उर्फ राणा दा से संपर्क न होने पर पूर्व नेता सह 12 नंबर वार्ड के तृकां पार्षद नांटू पाल का कहना है कि निगम की वर्तमान वाम बोर्ड हर मोर्चे पर व्यर्थ है. वाम बोर्ड के मेयर से लेकर सभी मेयर परिषद सदस्य व पार्षदों को केवल कुर्सी का लोभ है. निगम की आम जनता का कोई परवाह नहीं है. श्री पाल का कहना है कि डेंगू से मुकाबला करने में भी वाम संचालित बोर्ड पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है. मां-माटी-मानुष की ममता सरकार की तत्परता पर ही आज निगम और महकमा इलाके में एसजेडीए स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर डेंगू के विरुद्ध अभियान नियमित रूप से चला रही है. श्री पाल का कहना है कि इन सभी मुद्दों को लेकर जल्द ही तकां के सभी पार्षद निगम में घेराव, धरना-प्रदर्शन के जरिये आंदोलन करेंगे.
एमआइसी ने माना सौ फीसदी सफाई कभी संभव नहीं
निगम में साफ-सफाई विभाग के मेयर परिषद सदस्य सह 46 नंबर वार्ड के माकपा पार्षद मुकुल सेनगुप्त का मानना है कि दिन भर में शहर की सौ फिसदी सफाई कभी भी संभव नहीं है. उनका कहना है कि सिलीगुड़ी तो क्या दुनिया के किसी भी विकसित शहर में दिन भर सफाई नहीं किया जा सकता. उन्होंने विरोधियों के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि रविवार को भी निगम के सफाई कर्मचारी नियमित रुप से अपने-अपने क्षेत्रों की सफाई करते हैं. कुछ के बीमार होने के वजह से सफाई कर्मचारियों में कुछ कमी है. वहीं, कुछ वाहनों के ठीक न होने के वजह से वार्डों से कचड़ा उठाने में समस्या आ रही है. इसके बावजूद सीमित संसाधनों से ही पूरे निगम क्षेत्र की नियमित साफ-सफाई पर खास ध्यान दिया जा रहा है. साथ ही डेंगू को लेकर भी लगातार प्रचार-प्रसार एवं सभी वार्डों में तेल वैगरह का छिड़काव किया जा रहा है. श्री सेनगुप्त ने विरोधियों को उनके लहजे में ही पलटवार करते हुए कहा कि मां-माटी-मानुष की ममता सरकार न तो निगम को उसका बकाया रुपये लौटा रही है और न ही किसी तरह का सहयोग कर रही है. आंदोलन की धमकी विरोधियों की कोई नयी बात नहीं है. आंदोलन करना उनका लोकतांत्रिक अधिकार भी है.
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