सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी में डेंगू ने भयावह रूप धारण कर लिया है. अब इस बीमारी ने तेजी से अपना पैर पसार लिया है. रोगियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. आलम यह है कि एक ही परिवार के सभी लोग डेंगू की चपेट में आ गये हैं. सिलीगुड़ी में डेंगू ने लंबा उछाल मारा है. डेंगू मरीजों की संख्या गयारह सौ के पार पहुंच गयी है. डेंगू से शहर में फिर से एक महिला की मौत हो गयी है. इसके साथ ही डेंगू से मरने वालों की संख्या आठ हो गयी है.
मृतक के परिजनों ने शहर के सेवक रोड स्थित एक निजी अस्पताल पर बिना चिकित्सा के ही मरीज को मार डालने का आरोप लगाया है. जबकि अस्पातल प्रबंधन ने आरोपों को खारिज कर दिया है. अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि अचनाक प्लेटलेट्स गिरने से रोगी की मौत हुई है. उल्लेखनीय है कि बीते अगस्त महीने में हुई भयावह बारिश के बाद डेंगू ने सिलीगुड़ी शहर सहित उत्तर बंगाल के कई हिस्सों में तबाही मचा दी है. अगस्त महीने में डेंगू मरीजों की संख्या 50 के करीब थी.
अब दो महीने में डेंगू पीड़ितों की संख्या ग्यारह सौ के पार पहुंच चुकी है. सिलीगुड़ी नगर निगम इलाके में डेंगू मरीजों की संख्या ने 1080 के आंकड़े को छू लिया है. जबकि सिलीगुड़ी महकमा परिषद इलाके में डेंगू मरीजों की संख्या 200 के पार पहुंच गयी है. बुधवार दोपहर डेंगू से एक और महिला की मौत हो गयी. इस मौत से मरने वालों की संख्या ने आठ तक पहुंच गयी है.
44 वर्षीय मृत महिला का नाम शुक्ला धर बताया गया है. वह सिलीगुड़ी के शुकांत पल्ली इलाके की रहने वाली थी. उनके पति पीयूष धर ने बताया कि बीते शनिवार से उसे बुखार था. मंगलवार सुबह उसे सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां ग्लूकोज चढ़ाया गया और उसके रक्त की जांच की गयी. रक्त में एनएस-1 के जीवाणु पाये गये. साथ ही प्लेटलेट्स भी काफी नीचे 45 हजार के करीब पाया गया. बेहतर इलाज के लिए मरीज को रात के आठ बजे शहर के सेवक रोड स्थित आनंदलोक अस्पताल में भर्ती कराया गया. बुधवार दोपहर करीब 12 बजे उसने दम तोड़ दिया. श्री धर ने आरोप लगाया कि रात में मरीज को किसी डॉक्टर ने नहीं देखा.
अस्पताल के डॉक्टर इंद्रनाथ घोष से फोन पर मिले निर्देशानुसार वार्ड ब्यॉय ने उसकी चिकित्सा की. बुधवार सुबह अस्पताल से फोन पर बताया गया कि मरीज की तबीयत काफी खराब है उसे आइसीयू में भर्ती किया जा रहा है. परिजन जब अस्पताल पहुंचे तो प्रबंधन ने बताया कि मरीज को वेंटीलेटर पर रखा गया है. इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने एक बार भी प्लेटलेट्स की मांग नहीं की. परिजनों द्वारा शहर के एक अन्य विख्यात डाक्टर को बुलाने पर उन्होंने मरीज को मृत घोषित कर दिया. 12 बजे मरीज की मौत होने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने रूपए के लिए शव को शाम के सात बजे तक रोके रखा. आठ बजे रात से दिन के बारह बजे तक अस्पताल में मरीज को रखने के लिए प्रबंधन ने 35 हजार का बिल बनाया है.