पिछले त्रिस्तरीय महकमा परिषद चुनाव में माकपा व कांग्रेस ने गठबंधन कर सत्ता हासिल कर सीना चौड़ा किया. चुनाव के बाद बीते दो वर्षों में तृणमूल ने कांग्रेस व माकपा के घर में सेंध लगा दी है. फांसीदेवा ग्राम पंचायत के कुल 16 सीटों में ने तृणमूल ने सात सीटों पर कब्जा किया था. जबकि कांग्रेस की झोली में पांच, माकपा को दो, भाजपा को एक और निर्दलीय को एक सीट मिली थी.
माकपा के समर्थन से कांग्रेस ने भाजपा के विजयी उम्मीदवार को उप प्रधान का पद देकर बोर्ड गठन किया. जबकि आज फांसीदेवा ग्राम पंचायत के कांग्रेस प्रधान सहित चार कांग्रेस सदस्य, माकपा के दोनों ग्राम पंचायत सदस्य व निर्दलीय सदस्यों ने तृणमूल का दामन थाम लिया है. फांसीदेवा ब्लॉक के हेतमुरी सिंघीझोरा ग्राम पंचायत ही तृणमूल के कब्जे से दूर है. वहीं दूसरी तरफ फांसीदेवा पंचायत समिति में कुल 21 सीटें हैं. जिसमें से तृणमूल ने आठ, माकपा ने सात, कांग्रेस को पांच व भाजपा ने एक सीट पर कब्जा जमाया है. हाल ही में कांग्रेस के सह सभाधिपति ने इस्तीफा दे दिया था. इन सीटों पर आज चुनाव संपन्न हो गया. इस गहमा-गहमी के बीच फांसीदेवा पंचायत समिति के माकपा प्रधान ने भी बीते सोमवार को इस्तीफा दे दिया है.
इनसभी को पार्टी में शामिल कराने के बाद राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव ने कहा कि देश सहित बंगाल से वामपंथियों का सफाया हो गया है.अब सिलीगुड़ी महकमा परिषद पर कब्जे की तैयारी है. तृणमूल की आंधी ने उस घर की नींव हिला दी है. अगले कुछ दिनों में वह घर भी ढह जायेगा. उन्होंने आगे बताया कि राज्य में भाजपा कोई बड़ी चीज नहीं है.कहीं-कहीं ही भाजपा है. दार्जिलिंग जिले में गोजमुमो के समर्थन से भाजपा का सांसद बना. कांग्रेस और माकपा तो राज्य से समाप्त ही हो चुकी है. श्री देव ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विकास की गति को देखकर ग्रामीण लोग भी उनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं. चुनाव के ढाई वर्ष के पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है. दो साल गुजर गये हैं बस और कुछ दिनों का इंतजार है. माकपा व कांग्रेस का घर तास के पत्तों की तरह टूट कर बिखर जायेगा.