उन्हें कुल 40 हजार आठ सौ 10 रुपये खाते में जमा कराना था. 40 हजार रुपये नोट में थे, जबकि आठ सौ रुपये के सिक्के थे. सौ-सौ की आठ पोटली थी. कैशियर ने खुदरा लेने से इनकार कर दिया. खुदरा नहीं लेने का कारण पूछने पर बैंक के वरिष्ठ अधिकारी भी गुस्से से लाल हो गये. उसके बाद दोनों पक्ष की ओर से बहसबाजी शुरू हो गयी. आरोप है कि बैंक के कर्मचारियों ने खबर के लिए गयो कुछ पत्रकारों को भी बंधक बना लिया. उसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची. बड़ी ही मशक्कत से दोनों पक्षों को शांत कराया.
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संकट: नोटबंदी के बाद बाजार में खुदरा पैसों की अधिकता, आम नागरिक हो रहे परेशान, सिक्के जमा नहीं लेने पर बैंक में हंगामा
सिलीगुड़ी. नोटबंदी के 10 महीने बाद भी आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नोटबंदी के दौरान नकदी की काफी तंगी थी. उस समय बैंक की ओर से ग्राहकों को बड़े पैमाने पर सिक्के दिये गये. अब बैंक वाले उसी सिक्के को जमा लेने से इनकार कर रहे हैं, जबकि रिजर्व बैंक […]
सिलीगुड़ी. नोटबंदी के 10 महीने बाद भी आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नोटबंदी के दौरान नकदी की काफी तंगी थी. उस समय बैंक की ओर से ग्राहकों को बड़े पैमाने पर सिक्के दिये गये. अब बैंक वाले उसी सिक्के को जमा लेने से इनकार कर रहे हैं, जबकि रिजर्व बैंक के नियमानुसार सभी निजी व सरकारी बैंक सिक्के जमा लेने को बाध्य हैं. मंगलवार को बैंक ऑफ इंडिया की सिलीगुड़ी प्रधाननगर शाखा ने एक ग्राहक से आठ सौ रुपये के सिक्के लेने से इनकार कर दिया. उसके बाद वहां हंगामा शुरू हो गया. काफी हंगामे के बाद बैंक ने सिक्के जमा लिये.
नोटबंदी के समय एक सौ व 50 रुपयों के नोटो की इतनी कमी हो गयी थी कि आरबीआइ के निर्देश पर बैंकों ने खुदरा पैसे बाजार में निकाल दिये थे. अब आलम यह है कि बाजार में दुकानदार खुदरा लेना नहीं चाहते हैं. बैंक भी खुदरा जमा लेने से तौबा कर रहे हैं. मंगलवार को सिलीगुड़ी के प्रधान नगर थाना अधीन गुरूंग बस्ती इलाका निवासी प्रभा कुमारी झा अपने खाते में रुपये जमा कराने के लिए बैंक ऑफ इंडिया के इस शाखा कार्यालय में पहुंचीं.
क्या हैं बैंक की समस्या : नोटबंदी के समय बाजार में रुपये की मांग को पूरा करने के लिए बैंकों ने खुदरा निकाल दिया, लेकिन अब उसी खुदरा रुपये को वापस जमा कराना भी एक बड़ी समस्या बन गयी है. आरबीआइ के अनुसार सभी निजी व सरकारी मान्यता प्राप्त बैंक खुदरा रुपये जमा लेने को बाध्य हैं. बैंक की भी अपनी समस्या है. नोट गिनती करने के लिए तो मशीन है, लेकिन खुदरा बैंक कर्मचारी को ही गिनना पड़ता है. एक हजार रुपये का खुदरा गिनने के लिए एक कर्मचारी को कम से कम 10 मिनट का समय चाहिए. इससे बैंक के अन्य कार्यों में बाधा हो रही है और नोट जमा कराने या अन्य कार्य से बैंक पहुंचे ग्राहकों को परेशानी हो रही है.
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