बचपन से ही मेघनाद को बांसुरी बंजाने का शौक था. उन्होंने इसकी कोई तालीम भी नहीं ली है. उसका कहना है कि वह गाना सुनकर खुद ही बांसुरी के स्वर में उसे पिरो लेते हैं.
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कालियागंज : मेघनाद की बांसुरी से मुग्ध पूरा गांव
कालियागंज. उत्तर दिनाजपुर जिले के कालियागंज के दूरदराज के गांव शेरग्राम के निवासी मेघनाद पूरे इलाके में बंसीवाले के तौर पर जाने जाते हैं. वह अपन बांसुरी में हिन्दी फिल्मों के गानों के साथ ही कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गाने भी बजाते है. जिसे सुनने के लिए दूर-दूर से लोग उनके पास आते रहते है. […]
कालियागंज. उत्तर दिनाजपुर जिले के कालियागंज के दूरदराज के गांव शेरग्राम के निवासी मेघनाद पूरे इलाके में बंसीवाले के तौर पर जाने जाते हैं. वह अपन बांसुरी में हिन्दी फिल्मों के गानों के साथ ही कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर के गाने भी बजाते है. जिसे सुनने के लिए दूर-दूर से लोग उनके पास आते रहते है.
बचपन से ही मेघनाद को बांसुरी बंजाने का शौक था. उन्होंने इसकी कोई तालीम भी नहीं ली है. उसका कहना है कि वह गाना सुनकर खुद ही बांसुरी के स्वर में उसे पिरो लेते हैं.
बारिश हो या चिलचिलाती धूप, मेघनाद हजारों कामों के बावजूद बांसुरी बंजाने का मौका ढूंढ़ ही लेते हैं. वह पिछले 20 सालों में विभिन्न गांव की गलियों में बांसुरी बजाते चलते हैं और बच्चे उनके पीछे-पीछे. आर्थिक तंगी के कारण वह अपनी कला को अच्छा मंच नहीं दे पाये. लेकिन कई बार उन्हें इस कला के लिए विभिन्न स्थानों पर सम्मानित किया गया है.
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