जलपाईगुड़ी. बरसों से बंद रायपुर चाय बागान में इस बार की दुर्गा पूजा रौनक लेकर आई है. कारण कि चाय बागान बरसों तक बंद रहने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल पर खुल गया है. इसलिये इस बार दुर्गा पूजा का आयोजन भी धूमधाम से किया जा रहा है. इसमें चाय बागान प्रबंधन भी सक्रिय रूप से सहयोग कर रहा है. लेकिन इस पूजा के बीच बागान श्रमिक वर्ष 2003 से लेकर 2013 के बीच गुजर चुके 300 श्रमिकों को भी शिद्दत से याद करेंगे मोमबत्ती जलाकर. इस मौके पर भी बागान श्रमिक बंदी की मार झेलते हुए कंकाल बन चुके बागान के श्रमिक जीतबहान का हताश चेहरा याद करते हैं.
उल्लेखनीय है कि 2003 से ही चाय बागान के श्रमिक बागान खुलने की बाट जोह रहे थे. उसी समय जीतबहान की मौत की खबर अखबारों और मीडिया की सुर्खी बनी थी. उस समय भी बड़े कष्ट से श्रमिकों ने चंदा संग्रह कर किसी तरह देवी दुर्गा की पूजा की थी. उसके दो माह बाद ही रायपुर चाय बागान खुल गया. जीत बहान भले ही आज नहीं हों. लेकिन उनकी असमय मृत्यु ने चाय बागान को खुलवाने में एक अहम भूमिका निभाई थी इससे इनकार नहीं किया जा सकता. इसीलिये इस बार दुर्गा पूजा में यहां के श्रमिक जीतबहान के साथ साथ बागान में बंदी के दौरान कालकवलित 300 श्रमिकों को याद करते हुए मोमबत्तियां जलायेंगे.
उक्त जानकारी बागान के श्रमिक और पातकाटा ग्राम पंचायत के प्रधान प्रधान हेमब्रम ने दी है. हालांकि वे भी श्रमिक हैं इसलिये पंचायत प्रधान होने के बावजूद वे जीत बहान और बितना बराइक जैसे श्रमिकों को नहीं भूले हैं. आज छह सौ श्रमिकों वाले इस बागान में तीन हजार लोगों का निवास है. बंदी के दौरान तीन सौ निवासियों की मौत हो गई थी. प्रधान ने कहा कि अब बागान खुल गया है. यहां के श्रमिकों को इस बार 8.33 प्रतिशत बोनस मिला है. मालिकान भी इस बार दुर्गा पूजा में शामिल हो रहे हैं. चार दिन उत्सव मनेगा, लेकिन हम अपने से दूर गये भाई-बहनों को कैसे भुला सकते हैं?