जलपाईगुड़ी : गोरूमारा वनांचल से दो गैंडों का शिकार करनेवाले गिरोह का संबंध आतंकी संगठन जमी रिवोल्यूशनरी आर्मी के साथ हो सकता है. उक्त शिकारी गिरोह के एकमात्र जीवित बचे सदस्य, मणिपुर निवासी डिंग मुयांग से 14 रोज की रिमांड में पूछताछ के दौरान सीआइडी को यह जानकारी मिली है.
जांच टीम आरोपी को घटनास्थल पर लेकर गयी. वीरपाड़ा से गोरूमारा नेशनल पार्क जाने के बाद गिरोह ने दोनों गैंडों का किस तरह शिकार किया और उनकी सींग काटकर कैसे वापस गये, इसका पूरा विवरण सीआइडी टीम को बताया. पूरे घटनाक्रम के नाट्य रूपांतरण की वीडियोग्राफी सीआइडी टीम ने करायी है.
सीआइडी का कहना है कि डिंग मुयांग पूछताछ में सहयोग कर रहा है. उसके द्वारा दिये विवरण के अनुसार स्थानीय सहयोगियों की भी पहचान करने की कोशिश चल रही है. वहीं गोरूमारा वन्य प्राणी डिवीजन की प्रभारी अधिकारी निशा गोस्वामी ने बताया कि उन्हें सीआइडी की जांच पर भरोसा है. जरूरत पड़ी तो डिंग मुयांग को हिरासत में लेकर अलग से वन विभाग के अधिकारी पूछताछ कर सकते हैं. सीआइडी टीम को अनुमान है कि आतंकी संगठन जेआरए गिरोह को आग्नेयास्त्र चलाने का प्रशिक्षण दे सकता है. आवश्यकतानुसार सीआइडी की टीम मणिपुर भी जा सकती है.
14 दिनों की सीआइडी हिरासत में अभियुक्त डिंग मुयांग ने कुछ अहम राज उजागर किये हैं. सीआइडी सूत्र के अनुसार, अलीपुरद्वार जिले के वीरपाड़ा से वाहन बदल कर मणिपुर का पांच सदस्यीय गिरोह गैंडों के शिकार के लिए आया था. लौटने के क्रम में असम के कामरूप जिले में सड़क हादसे के दौरान चार सदस्यों की मौत हो गई. एकमात्र जीवित घटना का साक्ष्य डिंग मुयांग उर्फ लिंगडंग मुयांग बचा था. दुर्घटनास्थल से असम पुलिस ने आरोपी को गैंडों की सींग समेत गिरफ्तार किया. पुलिस हिफाजत में उसका इलाज कराया गया.
असम पुलिस और वहां के वन विभाग से सूचना मिलने पर गोरूमारा के गड़ाती इलाके से माटी के भीतर छिपाये हुए गैंडों के मृत शरीर बरामद किये गये. यह घटना पिछले मई महीने की है. अपराध में सहयोग करने वालों की पहचान करने के लिए बीते एक जून को सीआइडी की टीम ने डिंग मुयांग को शोन अरेस्ट दिखाकर असम पुलिस से आरोपी को हिरासत में लेने के लिए आवेदन किया. इसी के तहत विगत शुक्रवार को सीआइडी ने डिंग मुयांग को 14 दिन की हिरासत में लिया.
शिकार में अत्याधुनिक साइलेंसर गन का किया इस्तेमाल
सीआइडी सूत्र के अनुसार, आरोपी से पूछताछ में कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं. किस तरह से गैंडों के शिकार के लिए अत्याधुनिक साइलेंसर गन का उपयोग किया गया, किस रास्ते गिरोह आया था, उन सारे रास्तों पर सीआइडी की टीम अभियुक्त को साथ लेकर गयी. यहां तक कि बिन्नागुड़ी की किस दुकान से गिरोह ने खाने का सामान लिया था, इसकी जानकारी भी ली गई. पड़ताल के दौरान बानरहाट और नागराकाटा थाना पुलिस के अधिकारी के अलावा गोरूमारा वन्य प्राणी विभाग के कर्मचारी भी थे.
किस तरह गिरोह के सदस्य गोरूमारा जंगल के गड़ाती इलाके में जाकर गैंडों का शिकार किया, उनके सींग काटे और मिट्टी में उन्हें छिपा दिया. अभियुक्त डिंग मुयांग ने सारे घटनाक्रम का नाट्य रूपांतरण दिखाया. इस बार सीआइडी का अगला कदम शिकार में सहयोग करने वाले स्थानीय सहयोगियों की पहचान करना है. पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है
कि वन्य प्राणियों के शिकार में आतंकी संगठन जमी रिवोल्यूशनरी आर्मी अस्त्र-शस्त्र के जरिये गिरोह की मदद करती थी. पिछले मार्च में गोरूमारा में जो शिकार किया गया उसमें आतंकी संगठन की मदद है कि नहीं, इसकी पड़ताल की जा रही है. यह भी पता चला है कि शिकार के दौरान गिरोह ने तंबू लगाकर जंगल में दो रात काटी थी. दोनों गैंडों को काफी नजदीक से मारा गया था.