उनका दर्द समझ में आता है. इस बार बोनस नहीं मिलने का दर्द दुर्गा मंडप के सामने खेल रहे श्रमिक परिवार के बच्चों के चेहरों पर भी पढ़ा जा सकता है. मनीष ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सिलीगुड़ी आ रही हैं. श्रमिक संगठन के नेताओं की पहल पर यदि वे बंद चाय बागानों के लिये बोनसे दिलाने पर विचार करती हैं तो हमें भी इस मौके पर खुशियों की सौगात मिल सकती है. बंद बागानों में थोड़ी बहुत रौनक लौट सकती है.
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बोनस : कहीं खुशी है तो कहीं गम
चामुर्ची/बिन्नागुड़ी. चाय बागान श्रमिकों को बोनस का मसला तय होने की खबर मिलते ही चाय श्रमिकों के चेहरों पर खुशी छा गयी है. वहीं, बंद चाय बागानों के श्रमिक परिवारों में बोनस नहीं मिलने से मायूसी है. जब बरसों से बंद सुरेंद्रनगर चाय बागान के श्रमिक मनीष खाल्को ने कहा कि केवल पांच किमी की […]
चामुर्ची/बिन्नागुड़ी. चाय बागान श्रमिकों को बोनस का मसला तय होने की खबर मिलते ही चाय श्रमिकों के चेहरों पर खुशी छा गयी है. वहीं, बंद चाय बागानों के श्रमिक परिवारों में बोनस नहीं मिलने से मायूसी है. जब बरसों से बंद सुरेंद्रनगर चाय बागान के श्रमिक मनीष खाल्को ने कहा कि केवल पांच किमी की दूरी पर स्थित आमबाड़ी चाय बागान में बोनस मिलने से श्रमिकों में चहल पहल है, जबकि हमारा बागान बंद होने से हम दुर्गा पूजा के अवसर पर मिलने वाले बोनस से वंचित हैं.
चूनाभट्टी चाय बागान के श्रमिकों में बोनसे मिलने की खुशी साफ साफ लोगों के चेहरों पर दिख रही है. घर घर में पूजा की खरीदारी को लेकर योजनाएं बननी शुरू हो गयी है. जीत बाहान माझी, सरोज दुशाद, बाला उरांव और राजेश साहू ने कहा कि बच्चों और परिवार की खुशी के लिये बाजार में खरीदारी तो करनी होगी.
उसके अलावा बची हुई रकम से पूजा मेले में आमदनी बढ़ाने के लिये वे फास्ट फुड का काउंटर खोलकर आय का अतिरिक्त स्रोत बनाना चाहते हैं. ताकि आने वाले किसी संकट में रकम हमारे काम आ सके. यहां उल्लेखनीय है कि डुवार्स-तराई के चाय बागान श्रमिकों को इस वर्ष 20 प्रतिशत के बजाय 19.75 प्रतिशत बोनस मिलेगा. श्रमिक संगठनों ने सभी चाय बागानों के लिये समान रूप से 20 प्रतिशत बोनस की मांग रखी थी जो आखिर में रविवार को सिलीगुड़ी के माटीगाड़ा में 19.75 प्रतिशत पर सहमति बनी. बैठक में 35 श्रमिक संगठनों ने हिस्सा लिया लेकिन बंद चाय बगानों के श्रमिकों के हित की कोई भी चर्चा बैठक में नहीं हुई जिससे बंद चाय बागानों के श्रमिकों में निराशा है. सत्तारुढ़ दल सहित दर्जनों श्रमिक संगठनों ने चर्चा में हिस्सा लिया.
22 को होगा भुगतान
अंततः 22 सितंबर तक सभी चाय बागानों के श्रमिकों को नगदी के रूप में बोनस के भुगतान को लेकर सहमति बनी. हालांकि बंद चाय बागान के श्रमिकों का पूजा के दौरान मिलने वाला बोनस नहीं मिलने से इस वर्ष का भी पूजा फीका होने जा रहा है. सभी चाय श्रमिक संगठनों ने 19.75 प्रतिशत बोनस देने पर अपनी सहमति जतायी है. बेमन से ही सही सभी संगठनों ने इसे मंजूर कर लिया.
क्या कहते हैं जॉन बारला
भाजपा समर्थित चाय मजदूर संगठन भारतीय टी वर्कर्स यूनियन के केंद्रीय चेयरमैन जॉन बारला ने साक्षात्कार के दौरान बताया कि 165 चाय बागानों के प्रबंधन एवं श्रमिक संगठनों की सहमति के बाद 118 चाय बागानों द्वारा 19.75 प्रतिशत बोनस दिया जायेगा जबकि 47 रुग्ण चाय बागानों में 10 प्रतिशत से लेकर 19.25 प्रतिशत बोनस दिए जाने पर सहमति बनी. यह राशि श्रमिकों को नगदी के रुप में दिया जाना तय हुआ है. जॉन बारला ने बताया कि राज्य सरकार बंद चाय बागानों को खुलवाने के पक्ष में कतई नहीं है. इसका कारण है कि जितने भी बंद चाय बगान हैं उन सब में टीएमसी द्वारा एक कमेटी बनाकर चायपत्तियों को श्रमिकों द्वारा तोड़वा कर कर अन्य खुले चाय बागानों की फैक्ट्रियों में उसे बेचा जाता है जिसका कमीशन सत्तारूढ़ दल के ऊपर तक के नेताओं को जाता है. श्रमिकों को मात्र दैनिक मजदूरी के अलावा कोई रकम नहीं दी जाती है. उनके पीएफ और ग्रेच्युटी जमा नहीं किये जाते हैं. उन्हें अन्य कोई भी सरकारी नियमानुसार सुविधाएं नहीं दी जाती. जो भी विरोधी दलों के चाय श्रमिक संगठन हैं वे बंद चाय बगानों को लेकर जब भी आवाज उठाते हैं या आंदोलन की तैयारी करते हैं उससे राज्य सरकार दबाने की भरपूर कोशिश करती है. उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने तथा आंदोलन को पुलिस प्रशासन द्वारा कुचलने का भरपूर प्रयास किया जाता है.जिसके कारण बंद चाय बागानों को लेकर आंदोलन अभी थम सा गया है. अगर यही हाल रहा तो चाय बागान के श्रमिकों का जिस रफ्तार से अन्य राज्यों को पलायन चल रहा है वह और तेज हो जायेगा. दुर्गा पूजा के इस अवसर पर राज्य सरकार द्वारा बंद चाय बागान श्रमिकों के लिए कोई भी आर्थिक पैकेज की घोषणा नहीं की गई है.
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