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डिजिटल इंडिया में साड़ी की डिजाइन हुईं डिजिटल
बालूरघाट : दुर्गापूजा में चंद दिन ही बचे हैं. डिजिटल इंडिया के नये दौर में दुर्गापूजा में महिलाओं को अब इंटरनेट से लिये गये डिजाइनों के आधार पर बनी साड़ियां पहनने को मिलेंगी. पूजा से पहले रंग-बिरंगी तांत की साड़ियां बुनने का काम पूरी तेजी पर है. दक्षिण दिनाजपुर के गंगारामपुर के तांतीपाड़ा में इन […]
बालूरघाट : दुर्गापूजा में चंद दिन ही बचे हैं. डिजिटल इंडिया के नये दौर में दुर्गापूजा में महिलाओं को अब इंटरनेट से लिये गये डिजाइनों के आधार पर बनी साड़ियां पहनने को मिलेंगी. पूजा से पहले रंग-बिरंगी तांत की साड़ियां बुनने का काम पूरी तेजी पर है. दक्षिण दिनाजपुर के गंगारामपुर के तांतीपाड़ा में इन दिनों जोर-शोर से काम चल रहा है. डिजिटल डिजाइनवाली तांत की साड़ियां 500 से लेकर पांच हजार रुपये तक में उपलब्ध होंगी.
गंगारामपुर के बुनकरों के अनुसार, एक समय था जब लोग काम की तलाश में दूसरे राज्य में जाते थे, लेकिन वर्तमान युग में कला की कद्र बढ़ गयी है. कला को नया रूप दिया जा रहा है. बदलती दुनिया के साथ-साथ तांत की साड़ी में भी बदलाव आया है. पहले साधारण साड़ी बनती थी. लेकिन अब विभिन्न तरह के डिजाइन इंटरनेट के माध्यम से लेकर नये अंदाज से तांत की साड़ी तैयार की जा रही है.
समय के साथ-साथ साड़ी का ट्रेंड तो बदल गया, लेकिन तांत कलाकार जहां थे वहीं रह गये थे. क्योंकि साड़ी बनाने में जितनी मेहनत करनी पड़ती है, उसके अनुसार लाभ उन्हें नहीं मिल पाता है. धागे के साथ साथ कच्चे मालों के दाम दिन-ब-दिन बढ़ने से उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं होता. जितनी अमदनी होती है, उससे संसार चलाने से ज्यादा कुछ नहीं होता. घर में अगर कोई बड़ा सपना देखता है तो वह सच कभी नहीं होता. फिर भी दादा-परदादा के इस व्यवसाय को बचाये रखने के लिए वे पहल कर रहे हैं. तांतियों के अनुसार, गंगारामपुर के इस तांत कारोबार को बचाये रखने के लिए सरकार को जल्द इनके बारे में कुछ सोचना चाहिए.
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