सिलीगुड़ी. पहाड़ पर गोरखालैंड आंदोलन की आग से सिलीगुड़ी शहर लगातार गरम हो रहा है. अबतक इस शहर को पहाड़ पर जारी बेमियादी बंद से आर्थिक नुकसान हो रहा था, लेकिन अब कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया है. क्योंकि अब गोरखालैंड समर्थक खुलेआम सिलीगुड़ी में अपने पारंपरिक हथियार खुखरी के साथ प्रदर्शन करने लगे हैं.
कुछ इसी तरह की स्थिति मंगलवार को उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल परिसर में देखने को मिली. सोमवार रात को मिरिक में पुलिस फायरिंग में मारे गये गोरखालैंड समर्थक आशीष तामांग के शव को यहां पोस्टमार्टम के लिए लाया गया था. इसी को लेकर भारी संख्या में गोजमुमो समर्थक यहां सुबह से ही जमा होने लगे थे.
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ना केवल मिरिक बल्कि कर्सियांग एवं सिलीगुड़ी के आसपास गोरखा बहुल इलाके से भी भारी संख्या में आंदोलनकारियों का जमावड़ा लग गया . यहां उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दिनों के दौरान सिलीगुड़ी में पहाड़ के लोगों पर हमले की कई घटनाएं हुयी है. इतना ही नहीं सिलीगुड़ी में स्थानीय लोगों द्वारा पहाड़ पर रशद की आपूर्ति को भी रोका जा रहा है. पहाड़ पर तथा सिक्किम रसद ले जानेवाली कई गाड़ियों पर उपद्रवियों ने हमला किया है और लूटपाट की घटनाएं हुयी है.इसी वजह से जब भारी संख्या में पहाड़ से आंदोलनकारी मेडिकल कॉलेज आने लगे. उसके बाद ही पुलिस की नींद उड़ गयी. पुलिस ने ना केवल मेडिकल कॉलेज परिसर अपितु पूरे इलाके को किले में तब्दील कर दिया. पुलिस जवानों के साथ ही रैफ की तैनाती की गयी थी.
भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मेडिकल कॉलेज परिसर में ही आंदोलनकारियों ने खुकुरी रैली निकाली. सभी ‘वी वांट गोरखालैंड’ के नारे लगा रहे थे. दोपहर को आशीष तामंग के शव का पोस्टमार्टम हुआ और परिजनों को सौंप दिया गया. उसके बाद सभी आंदोलनकारी शव को लेकर मिरिक के लिए रवाना हो गए. इस संबंध में एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आंदोलनकारियों पर समतल क्षेत्र में हमले की आशंका को देखते हुए ही इतने अधिक संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गयी थी. मेडिकल कॉलेज से लेकर माटीगाड़ा,खपरैल मोड़,दार्जिलिंग मोड़ आदि इलाके में रैफ के जवान भी तैनात थे.
क्या कहते हैं मोरचा नेता
मोरचा नेता ज्योति राई ने खुकरी रैली निकालने की घटना से इंकार किया है. उनका कहना है कि गोरखा समुदाय में शवयात्रा के दौरान खुकरी साथ में ले जाने की परंपरा है. सभी लोग शवयात्रा में ही शामिल थे और वह सभी खुकुरी लेकर चल रहे थे. इसमें रैली निकालने जैसी कोई बात नहीं है.