संगठन ने गोरखालैंड राज्य के आंदोलन का कड़ा विरोध करते हुए आरोप लगाया है कि 1950 के भारत-नेपाल समझौते की आड़ में नेपाल के निवासी दार्जीलिंग जिले के पार्वत्य क्षेत्र में आकर बस गये. वे भारतीय नागरिक हैं ही नहीं.
यदि भारतीय नागरिकता का सर्वेक्षण किया जाये, तो यह स्पष्ट हो जायेगा. विज्ञप्ति में यह कहा गया है कि बंगाल ने नेपाल किसी हिस्से पर कब्जा नहीं किया है, बल्कि नेपाली समुदाय ने पहाड़ पर दखल कर लिया. यदि ये लोग भारतीय नेपाली हैं तो उत्तराखंड राज्य में गोरखालैंड राज्य की मांग क्यों नहीं कर रहे हैं.