सिलीगुड़ी. दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर जारी आंदोलन ने जहां जोर पकड़ लिया है, वहीं दूसरी ओर हिंसा पर काबू नहीं पाने तथा आंदोलनकारियों पर पुलिस फायरिंग को लेकर सिलीगुड़ी के मानवाधिकार संगठनों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (एपीडीआर) ने दार्जीलिंग में पुलिस फायरिंग की निंदा की है और दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
एपीडीआर के सचिव अभिरंजन भादुड़ी ने कहा है कि गोरखालैंड तथा भाषा विवाद को लेकर पहाड़ पर शुरू आंदोलन को राज्य सरकार ठीक तरह से नहीं निपट पायी. अब राज्य सरकार कह रही है कि पहाड़ पर नेपाली भाषियों के बीच बांग्ला भाषा नहीं थोपा जा रहा है. बांग्ला भाषा को ऐच्छिक भाषा के रूप में रखा गया है. अगर यही बात है तो राज्य सरकार को इसकी घोषणा नियम लागू करने से पहले कर देनी चाहिए थी.
अब बात बिगड़ गई है. ऊपर से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहाड़वासियों पर अपना फैसला जोर-जबरदस्ती लादने की कोशिश की. अपनी ताकत दिखाने के लिए मुख्यमंत्री ने दार्जीलिंग में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक भी की. उसके बाद से ही पहाड़ पर परिस्थिति बिगड़ गई है.
श्री भादुड़ी ने कहा कि आंदोलनकारियों ने निपटने में पुलिस की भूमिका काफी नकारात्मक रही. रैली निकाल रहे गोजमुमो समर्थकों पर लाठियां बरसायी गईं और यहां तक कि गोजमुमो के मुख्यालय पर भी पुलिस ने धावा बोल दिया. उसके बाद से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. पुलिस में फायरिंग में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हो गये हैं. उन्होंने दार्जीलिंग के सिंगमारी में पुलिस फायरिंग की न्यायिक जांच की मांग की है. श्री भादुड़ी ने दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र से सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों को वापस बुलाकर आंदोलनकारियों के साथ बातचीत करने की वकालत की है. उन्होंने कहा कि बातचीत से ही किसी समस्या का समाधान हो सकता है. इसके अलावा मृतकों के परिवार वालों को उचित मुआवजा देने की मांग भी श्री भादुड़ी ने की.