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इलाज के नाम पर रेफर पर रेफर

बालूरघाट. डेढ़ साल के एक बच्चे को बार-बार एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में रेफर किया जा रहा है. इससे उसके गरीब मां-बाप की कमर टूट गयी है. उनका कहना है कि अगर बार-बार रेफर ही किया जाना है, तो बालूरघाट में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और उसमें विशेष शिशु यूनिट बनने का क्या फायदा. 100 […]

बालूरघाट. डेढ़ साल के एक बच्चे को बार-बार एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में रेफर किया जा रहा है. इससे उसके गरीब मां-बाप की कमर टूट गयी है. उनका कहना है कि अगर बार-बार रेफर ही किया जाना है, तो बालूरघाट में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और उसमें विशेष शिशु यूनिट बनने का क्या फायदा.

100 करोड़ से ऊपर खर्च करके अस्पताल बनाने का मतलब क्या है. जानकारी के मुताबिक, दक्षिण दिनाजपुर के गंगारामपुर थाने के फूलबाड़ी इलाके के रहनेवाले एक मजदूर सुदेव दास और उनकी पत्नी शिप्रा दास का एक बेटा है, जिसकी उम्र डेढ़ साल के करीब है. सुदीप दास नामक यह बच्चा सात महीने की उम्र से ही बीमार चल रहा है.

बार-बार उलटी और दस्त की तकलीफ के चलते उसे बालूरघाट जिला अस्पताल में भरती कराया गया. एक दिन बाद ही उसे मालदा रेफर कर दिया गया. वहां बताया कि बच्चे के हृदय में छेद है. इलाज में चार लाख रुपया लगेगा. आर्थिक रूप से लाचार परिवार वापस बालूरघाट लौट आया. लेकिन सदर अस्पताल ने उसे दोबारा भरती करने से मना कर दिया. इसके बाद परिवार किसी तरह कुछ रुपये जुटाकर बच्चे को कोलकाता पीजी अस्पताल ले गया. वहां से उसे आमरी ले गया. इसके बाद जब बच्चा कुछ स्वस्थ हुआ तो वे लोग वापस बालूरघाट आ गये. बुधवार रात को एक बार फिर सुदीप बीमार पड़ गया. रात में ही उसे बालूरघाट सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल में भरती कराया गया. लेकिन गुरुवार सुबह डॉक्टर ने उसे फिर रेफर कर दिया. अब यह गरीब परिवार खुद को पूरी तरह असहाय पा रहा है.

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