कोलकाता. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एक नयी अधिसूचना जारी की गयी है. इसमें छात्र यूनियन चुनाव को गैर-राजनीतिक बनाये जाने की रणनीति तय की गयी है. इसमें यह घोषणा की गयी है कि कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में चुनाव प्रत्येक दो साल में करवाये जायेंगे. विभाग का यह निर्णय कि यूनियन चुनाव दो साल में कराये जायें, यह फैसला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक संकेत के बाद किया गया है. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने एक साक्षात्कार में कहा था कि हर साल चुनाव कराना, ऊर्जा की बर्बादी है. चुनाव की एक रणनीति होनी चाहिए. इसका अनुसरण करते हुए नयी सूचना जारी की गयी है.
इसमें कहा गया है कि किसी पार्टी से जुड़े छात्र संगठन चुनाव या प्रचार के दाैरान पार्टी का कोई भी बैनर या प्रतीक इस्तेमाल नहीं करेंगे. जो छात्र चुनाव लड़ रहा है, उसे कॉलेज व विश्वविद्यालय परिसर में प्रचार करने की अनुमति नहीं होगी. चुनाव के दौरान प्रत्याशियों को किसी भी मतदाता के घर जाकर प्रचार करने का भी अधिकार नहीं होगा.
प्रत्याशी व उसका कोई समर्थक किसी भी संस्थान की एकेडमिक गतिविधियों को प्रभावित नहीं कर सकता है. किसी भी कॉलेज व विश्वविद्यालय का छात्र तभी वोट दे पायेगा, जब इलेक्टोरल रोल में उसका नाम दर्ज होगा. इसका मतलब यह है कि वोट देने के लिए छात्र तभी योग्य माना जायेगा, जब कक्षा में उसकी 60 प्रतिशत उपस्थिति होगी. चुनाव के 15 दिन पहले कॉलेजों को सूचना बोर्ड व वेबसाइट पर चुनाव से जुड़ी समस्त जानकारी की प्रति पोस्ट करनी होगी. एक छात्र तभी चुनाव लड़ सकता है या भाग ले सकता है, जब उसके पास कॉलेज व विश्वविद्यालय द्वारा जारी वैलिड आइ कार्ड होगा. छात्र यूनियन का अध्यक्ष कॉलेज के प्रिंसिपल व वाइस प्रिंसिपल द्वारा नामांकित किया जायेगा. टीचर्स काउंसिल के शिक्षकों के बीच से ही यूनियन के उपाध्यक्ष को मनोनीत किया जायेगा. चुने गये कक्षा प्रतिनिधि यूनियन के सदस्य होंगे. उन्हें किसी भी बैठक में अपना मत देने का अधिकार होगा. अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष यूनियन की बैठक कर सकता है. इस नयी गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि छात्र यूनियन के फंड की देखभाल कोषाध्यक्ष द्वारा की जायेगी. यह फंड विकास कार्यों व सांस्कृतिक गतिविधियों पर खर्च किया जायेगा. सभी aफंड का संस्थान के अधिकारियों द्वारा साल में ऑडिट करवाया जायेगा. कोई भी छात्र या सदस्य खाते का निरीक्षण कर सकता है.
चुनाव वही छात्र लड़ सकता है, जो नियमित छात्र हो या रिसर्च स्कॉलर हो व पूरे साल 60 प्रतिशत या उससे अधिक कक्षाओं में उपस्थिति दर्ज करवाने के साथ फीस का हिसाब क्लीयर रखा हो. वह छात्र चुनाव में भाग नहीं ले सकता है, जो किसी भी आपराधिक मामले में दोषी है या लिप्त है. चुनाववाले दिन छात्र व कर्मचारी के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति को परिसर में घुसने नहीं दिया जायेगा.
एक ही व्यक्ति दो साल तक यूनियन में क्यों रहेगा. छात्र यूनियन चुनाव में शिक्षकों का कोई काम नहीं है. इसमें शिक्षकों को क्यों रखा जा रहा है, यह गणतांत्रिक व्यवस्था नहीं मानी जायेगी. सरकार की यह रणनीति ठीक नहीं है. छात्र प्रतिनिधियों का चुनाव न करके सलेक्शन किया जायेगा, इससे सभी छात्रों को भाग लेने का मौका नहीं मिल पायेगा.