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बंगाल में रहना है तो बांग्ला सीखना-बोलना होगा

सिलीगुड़ी. बंगाल में रहना है तो बांग्ला सीखना और बोलना होगा. बांग्ला भाषा व संस्कृति को अपनाना होगा. नेपाली, हिंदी, उर्दू व अन्य भाषाभाषियों के लिए यह फरमान जारी किया है बांग्ला व बांग्ला भाषा बचाओ कमिटी के सुप्रीमो डॉ मुकुंद मजूमदार ने. उन्होंने गुरुवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में प्रेस-वार्ता के दौरान मीडिया के […]

सिलीगुड़ी. बंगाल में रहना है तो बांग्ला सीखना और बोलना होगा. बांग्ला भाषा व संस्कृति को अपनाना होगा. नेपाली, हिंदी, उर्दू व अन्य भाषाभाषियों के लिए यह फरमान जारी किया है बांग्ला व बांग्ला भाषा बचाओ कमिटी के सुप्रीमो डॉ मुकुंद मजूमदार ने. उन्होंने गुरुवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में प्रेस-वार्ता के दौरान मीडिया के सामने यह फरमान जारी किया.
पहाड़ की वर्तमान राजनीति के मद्देनजर डॉ मजूमदार ने बंगाल का अस्तित्व बचाने और उसकी रक्षा हेतु सभी से लड़ाई लड़ने का आह्वान किया. उनका कहना है कि इन सभी मुद्दों को लेकर संगठन की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक चिट्ठी दी गयी है, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर सभी मांगों को अमल में लाने का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि अलग राज्य गोरखालैंड को लेकर संगठन पहले भी विरोध करता आया है और आगे भी करता रहेगा.

गोरखालैंड कभी नहीं बनने देंगे. पहाड़ पर अमन-चैन के लिए जीटीए को रद्द कर गोरखा जन मुक्ति मोरचा पर प्रतिबंध लगाना देना चाहिए. दार्जिलिंग पार्वत्य क्षेत्र बंगाल का मुकुट है बंगालियों की मातभूमि भी. उन्होंने अलगाववादियों को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी कीमत पर बंग भंग नहीं होने दिया जायेगा.

डॉ मजूमदार का कहना है कि आज बंगाल में नेपाली, हिंदी, उर्दू व अन्य भाषा-भाषियों की तुलना में बंगाली ही अल्पसंख्यक होकर रह गये हैं. उन्होंने पहाड़ को लेकर ममता की वर्तमान नीति को सराहनीय कदम ठहराया और कहा कि सभी स्कूलों में बांग्ला को अनिवार्य किये जाने के सरकार के निर्देश को सबों को मानना चाहिए. साथ ही उन्होंने सरकार से गुजारिश करते हुए कहा कि सरकारी दफ्तरों में आइएएस और आइपीएस को छोड़कर उसके नीचे स्तर के हरेक सरकारी पद पर केवल बंगाली समुदाय को ही नौकरी मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भावी आंदोलन का खाका तैयार किया जा रहा है. जल्द ही आंदोलन की तारीख का एलान कर दिया जायेगा.

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