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शिक्षकों के सही मूल्यांकन को कैट की व्यवस्था पर विचार
स्कूलों में नो डिटेंशन पॉलिसी पर नयी नीति से काम करेगी केंद्र सरकार कक्षा आठवीं तक एक बार फेल होने पर दोबारा परीक्षा में बैठने का छात्र को मिलेगा मौका स्कूलों में पास-फेल नियम हो या न हो, यह राज्य सरकार पर होगा निर्भर : शिक्षा सचिव ने की घोषणा कोलकाता. मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स […]
स्कूलों में नो डिटेंशन पॉलिसी पर नयी नीति से काम करेगी केंद्र सरकार
कक्षा आठवीं तक एक बार फेल होने पर दोबारा परीक्षा में बैठने का छात्र को मिलेगा मौका
स्कूलों में पास-फेल नियम हो या न हो, यह राज्य सरकार पर होगा निर्भर : शिक्षा सचिव ने की घोषणा
कोलकाता. मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से एक परिचर्चा का आयोजन किया गया. ‘नये भारत की मजबूत आधारशिला के लिए बेहतरीन स्कूल शिक्षा प्रणाली अनिवार्य’ विषय पर मुख्य अतिथि अनिल स्वरूप (आइएएस), सेक्रेटरी, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि स्कूली शिक्षा पर ही देश के बच्चों का भविष्य निर्भर करता है.
इसमें सबसे बड़ी भूमिका शिक्षकों की है. शिक्षकों के सही मूल्यांकन के लिए केंद्र सरकार कैट या सैट की व्यवस्था शुरू करने पर विचार कर रही है, हालांकि यह सभी राज्य सरकारों के लिए बाध्यकारी नहीं होगा. शिक्षक बनने की चाह रखनेवालों के लिए कैट या सैट के तर्ज पर केंद्रीय मूल्यांकन की व्यवस्था की जायेगी.
उनका कहना है कि ‘कैट की तरह की मूल्यांकन व्यवस्था शिक्षकों के लिए एक बेंचमार्क होगा, लेकिन हमें राज्य सरकारों से इस पर चर्चा करनी होगी. हम सभी पक्षों से बात करना चाहते हैं. इसके बाद भर्ती एजेंसियां इस बाबत अंतिम निर्णय करेंगी. संस्थानों में शिक्षकों की हाजिरी सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक स्कूल को टेबलॉइट दिये जायेंगे, जिनमें शिक्षकों का बायोमिट्रिक डाटा होगा और यह जीपीएस से जुडे रहेंगे. उन्होंने कहा कि सबसे पहले एक अगस्त से यह योजना छत्तीसगढ़ में शुरू की जा रही है. इसके बाद धीरे-धीरे इसे पूरे देश में लागू किया जायेगा. आंध्र प्रदेश, राजस्थान में भी यह प्रणाली शुरू की जायेगी. इस तरह का सॉफ्टवेयर शिक्षकों के मोबाइल में दिया जायेगा. इसका फंड केंद्र देगा.
श्री स्वरूप ने जानकारी दी कि स्कूली शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए हाल ही में 22 राज्यों के स्कूलों का दौरा किया गया. इसमें शिक्षकों व पैरेंट्स के लिए भी विशेष ट्रेनिंग व्यवस्था की जा रही है. उनका कहना है कि शिक्षा के अधिकार के तहत आठवीं तक किसी भी बच्चे को नहीं रोका जा सकता. इस नीति में कुछ बदलाव किया जा रहा है. यह फैसला अब राज्य सरकार पर है कि वह पास-फेल प्रथा रखे या न रखे. केंद्र का मानना है कि एक बार फेल होने पर जून में दोबारा बच्चे को परीक्षा का मौका दिया जाना चाहिए. बीएड कॉलेजों के कामकाज की निगरानी के लिए एनसीटीइ द्वारा एफीडेविट मांगा गया है. कई निजी व सरकारी बीएड कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गयी है.
अब एनसीटीइ नये सिरे से काम कर रही है. एक सवाल के जवाब में श्री स्वरूप ने कहा कि किसी भी स्कूल में तीसरी या चौथी भाषा के रूप में क्षेत्रीय भाषा को शुरू करना, यह राज्य सरकार का अपना फैसला है, इसमें केंद्र कुछ नहीं कर सकता है. सीबीएसइ भी स्कूलों के एफिलियेशन को लेकर काम करता है. उसे भाषा को लेकर कोई मतलब नहीं है. मूल्यपरक शिक्षा के साथ हर स्कूल कैसे चल रहे हैं, इसकी रिपोर्ट हर राज्य को देनी होगी. कार्यक्रम में एमसीसीआइ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रमेश अग्रवाल ने कहा कि देश की तरक्की स्कूली शिक्षा से जुड़ी हुई है. बच्चे देश का भविष्य हैं, उनकी शिक्षा पर ही समाज का विकास निर्भर करता है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2016 भारत में शिक्षा के विकास के लिए एक फ्रेमवर्क प्रदान करता है. आठवीं तक के बच्चों की स्कूली शिक्षा को मजबूत व गुणवत्तापरक बनाने की जरूरत है, ताकि ये बच्चे माध्यमिक बोर्ड परीक्षा में अच्छे नतीजों के साथ सफल हो सकें. कार्यक्रम में रामकृष्ण मठ व रामकृष्ण मिशन के महासचिव स्वामी सुवीरानंदजी महाराज, हेरिटेज स्कूल की प्रिंसिपल सीमा सप्रू व बीडीएमआइ की प्रिंसिपल विजया चौधरी ने भी स्कूल की शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम में कई स्कूल-कॉलेज के प्रिंसिपल व शिक्षाविद उपस्थित थे.
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