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वाटर टैंकर के रूप में बनाया नया सस्ता एसी, आइआइटी खड़गपुर के छात्रों का कमाल

कोलकाता. आइआइटी के छात्र अपने नये-नये आविष्कार के लिए जाने जाते हैं. इसी क्रम में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर के दो छात्रों ने एक नया कारनामा कर दिखाया है. दोनों छात्रों ने मिलकर वाटर टैंकर का आविष्कार किया है, जो भविष्य में एसी का विकल्प बन सकता है. इस नये तरह के एसी को दीवारों […]

कोलकाता. आइआइटी के छात्र अपने नये-नये आविष्कार के लिए जाने जाते हैं. इसी क्रम में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर के दो छात्रों ने एक नया कारनामा कर दिखाया है. दोनों छात्रों ने मिलकर वाटर टैंकर का आविष्कार किया है, जो भविष्य में एसी का विकल्प बन सकता है. इस नये तरह के एसी को दीवारों के अंदर फिट किया जा सकेगा और इससे बिजली पर भी 50 प्रतिशत तक की कटौती की जा सकेगी. आइआइटी खड़गपुर के इन छात्रों के इस आविष्कार ने शेल आइडियाज 360 ऑडियंस चॉइस अवॉर्ड्स में शीर्ष पांच में जगह हासिल की है. शहश्रांसु मौर्य और सोमरूप चक्रवती के ये छात्र भूभौतिकी विभाग की टेक्निकल टीम से हैं.

उनके इस आविष्कार को पैसिव सोलर वॉल नाम मिला है. ये एक कूलिंग प्रणाली का इक्यूपमेंट हैं. पैसिव सोलर वॉल कूलिंग इक्युपमेंट है, जो एक आयताकार वाटर टैंक है, जिसे दीवार के अंदर फिट किया जाता है और सबसे बड़ी बात ये कि अन्य एसी की तरह की कूलिंग प्रदान करेगा. इस नये कूलिंग इक्यूपमेंट से बिजली में भी 50 प्रतिशत तक की बचत होगी, जिसकी खास वजह है, इसका दीवारों को अंदर से ठंडा करना. छात्र मौर्य ने बताया कि यह वाटर टैंक पारंपरकि टैंकरों की तुलना में अलग है, क्योंकि इसका सतही क्षेत्र काफी अधिक है.

टैंक तक ज्यादा से ज्यादा हवा पहुंच सके और इसको ठंडा होने में मदद मिले, इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है इसमें. यह भविष्य में एसी का विकल्प बन सकता है. गरमी के मौसम में घर की कुल बिजली खपत में लगभग 35 फीसदी भागीदारी एसी की है और प्रतिवर्ष 1.5 टन कार्बन का उत्सर्जन करती है.

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