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5 वीं में अब मेरिट के आधार पर होगा दाखिला
राज्य सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त स्कूलों में कक्षा पांचवीं में दाखिले के लिए अब उम्र का प्रमाणपत्र दिखाने की जरूरत नहीं कोलकाता : राज्य सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त स्कूलों में कक्षा पांचवीं में दाखिले के लिए अब उम्र का प्रमाणपत्र दिखाने की जरूरत नहीं है. छात्रों का दाखिला मेरिट के आधार पर होगा. यह जानकारी […]
राज्य सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त स्कूलों में कक्षा पांचवीं में दाखिले के लिए अब उम्र का प्रमाणपत्र दिखाने की जरूरत नहीं
कोलकाता : राज्य सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त स्कूलों में कक्षा पांचवीं में दाखिले के लिए अब उम्र का प्रमाणपत्र दिखाने की जरूरत नहीं है. छात्रों का दाखिला मेरिट के आधार पर होगा. यह जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में जारी की गयी है. विभागीय सूत्रों का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग में कई अभिभावकों ने शिकायत भेजी है कि उनके बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं दिया जा रहा है.
उनके बच्चे की उम्र 10 साल से एक या दो महीना कम है, इसलिए उनका दाखिला नहीं लिया जा रहा है. वहीं, शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार के तहत यह नियम अनिवार्य है कि कक्षा पांच में दाखिले के लिए बच्चे की उम्र 10 साल से ऊपर व 11 साल से कम होनी चाहिए. इसी आधार पर कम उम्र होने पर अभिभावकों को एडमिशन फार्म नहीं मिलेगा. विभाग की एक बैठक में यह तय किया गया कि हर दाखिला मेरिट के आधार पर होगा. स्कूलों को इस तरह की अधिसूचना जारी की गयी है कि बच्चों को पांचवीं में दाखिला केवल मेरिट के आधार पर ही दें, उम्र के आधार पर नहीं.
विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि इसमें स्कूलों का कोई दोष नहीं है. शिक्षा के अधिकार एक्ट के तहत यह साफ ताैर पर कहा गया है कि सभी सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों को उम्र की क्राइटेरिया का नियम मानना ही होगा. इस एक्ट में कहा गया है कि पांच-छह साल की उम्र के बच्चों को केवल प्री-प्राइमरी में ही दाखिला दिया जा सकता है.
जो बच्चे 6-7 साल के हैं, उन्हें कक्षा 1 में दाखिला दिया जाना चाहिए, ताकि वे 15 साल में माध्यमिक दे सकें. उम्र में तीन-चार महीने का फर्क होने पर भी अब दाखिला दिया जायेगा. एक सरकारी स्कूल के हेडमास्टर ने कहा कि मेरिट के आधार पर दाखिला देने से उम्र का संतुलन बराबर हो जायेगा. दाखिले के मामले में दो-तीन महीने का फर्क हो, तो स्कूल को बच्चे का एडमिशन लेना ही पड़ेगा. मेरिट के आधार पर होने से मेधावी छात्रों का महत्व बढ़ेगा. बाद में सीटें बचने पर सामान्य छात्रों को भी दाखिला दिया जा सकता है.
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