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ईस्ट-वेस्ट मेट्रो में प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर

आत्महत्या रोकने के लिए मेट्रो रेलवे प्रशासन की पहल मेट्रो के सभी 12 स्टेशनों पर लगेगा प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर 30 प्रतिशत एनर्जी की भी होगी बचत श्रीकांत शर्मा कोलकाता : कोलकाता मेट्रो रेलवे का सबसे दुखद पहलू रहा है आत्महत्या की घटनाएं. कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड इन घटनाओं से सबक लेते हुए ईस्ट-वेस्ट मेट्रो […]

आत्महत्या रोकने के लिए मेट्रो रेलवे प्रशासन की पहल
मेट्रो के सभी 12 स्टेशनों पर लगेगा प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर
30 प्रतिशत एनर्जी की भी होगी बचत
श्रीकांत शर्मा
कोलकाता : कोलकाता मेट्रो रेलवे का सबसे दुखद पहलू रहा है आत्महत्या की घटनाएं. कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड इन घटनाओं से सबक लेते हुए ईस्ट-वेस्ट मेट्रो में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करने जा रही है, जिसके बाद आत्महत्या करने की चाह रखनेवाले लोग पटरी तक पहुंच ही नहीं पायेंगे. खास बात यह भी है कि ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना भारत की पहला ऐसी मेट्रो होगी, जिसमें प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर तकनीक का इस्तेमाल होगा.
इसके तहत सभी प्लेटफॉर्म पूरी तरह कवर्ड होंगे. प्लेटफॉर्म पर ट्रेन के प्रवेश करते ही ट्रेन के दरवाजे ठीक स्क्रीन डोर के पास आकर लगेंगे. स्क्रीन डोर से ट्रेन के दरवाजे के लगते ही सेंसर काम करेगा और ट्रेन के दरवाजे के साथ ही प्लेटफॉर्म सक्रीन डोर का दरवाजा अपने आप खुल जायेगा. पूरे प्लेटफॉर्म को कवर करने का एक फायदा यह भी होगा कि एसी वेंटिलेशन के लिए अब केवल प्लेटफॉर्म एरिया को ही कूल करना पड़ेगा, जिससे 30 प्रतिशत तक एनर्जी की बचत भी हो सकेगी. यह तकनीक काफी कारगर है, लेकिन काफी खर्चीली भी है. एक प्लेटफॉर्म पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर लगाने लिए तीन करोड़ रुपये खर्च पड़ेगा.
कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (केएमआरसीएल) के चेयरमैन और मेट्रो रेलवे व नॉर्थ सेट्रल रेलवे के महाप्रबंधक एमसी चौहान बताते हैं कि कोलकाता मेट्रो रेलवे में हो रहीं आत्महत्या की घटनाएं काफी दुखद हैं, वहीं मेट्रो के परिचालन के लिए यह एक गंभीर समस्या भी है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्लेटफॉर्म डोर स्क्रीन तकनीक काफी कारगर है. ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना भारत का पहली मेट्रो होगी, जिसमें प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर का इस्तेमाल होगा.
आत्महत्या के बाद घंटों बाधित होता है मेट्रो परिचालन
वर्तमान में कोलकाता मेट्रो रेलवे में हो रही आत्महत्या की घटनाओं से जहां एक व्यक्ति अपनी जान खो देता है, वहीं इसके बाद आम यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
घटना की खबर लगते ही मेट्रो प्रशासन द्वारा सबसे पहले सभी ट्रेनों को जहां-तहां रोक दिया जाता है और शव निकाला जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में कई घंटे लग जाते थे. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कई प्रयास किये गये. स्टेशनों व प्लेटफॉर्मों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती के साथ कई जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, लेकिन घटनाओं का सिलसिला जारी रहा. मेट्रो प्रशासन ने इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कई एनजीओ की भी सहायता ली. स्टेशनों पर पोस्टर-बैनर लगाये गये. कई जागरूकता कार्यक्रम भी चलाये गये, लेकिन कोई बेहतर नतीजा नहीं निकला.
सभी स्टेशनों पर लगेगा प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर : कुल 12 स्टेशनों, जिनमें में जमीन के अंदरवाले स्टेशन हावड़ा मैदान, हावड़ा, न्यू महाकरण, एस्प्लानेड, सियालदह, फूलबगान और एलिवेटर पर टिके स्टेशनों सॉल्टलेक सेक्टर पांच, करुणामयी, सेंट्रल पार्क, सिटी सेंटर, बंगाल केमिकल और सॉल्टलेक स्टेडियम मेट्रो स्टेशन पर प्लेटफॉर्म डोर स्क्रीन लगेगा.
स्क्रीन डोर की खासियत यह है कि यह तभी खुलता है, जब मेट्रो ट्रेन का दरवाजा उसके पास आकर रुकता है. ट्रेन के प्लेटफॉर्म से रवाना होते ही सभी दरवाजे खुद ब खुद बंद हो जायेंगे. प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का इंतजार कर रहे आम लोग इस दरवाजे के पास तो जा सकेंगे, लेकिन दरवाजा खुलेगा नहीं. जानकारों की मानें तो इस प्रकार के स्क्रीन डोर तकनीक का इस्तेमाल जापान की मेट्रो ट्रेनों में किया जा रहा है.
2019 में दिसंबर से दौड़ेगी ईस्ट-वेस्ट मेट्रो : चौहान
रविवार को ईस्ट-वेस्ट मेट्रो परियोजना के प्रगति कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (केएमआरसीएल) के चेयरमैन और मेट्रो रेलवे व नार्थ सेंट्रल रेलवे के महाप्रबंधक एमसी चौहान ने परियोजना के कार्य की प्रगति पर संतोष जताते हुए कहा कि कार्य काफी तेज गति से चल रहा है.
प्रथम फेज (सियालदह से सेक्सटर-पांच) का कार्य जून 2018 तक पूरा हो जायेगा, जबकि द्वितीय फेज (हावड़ा मैदान से फूलबगान तक) तक का कार्य दिसंबर 2019 तक पूरा हो जायेगा. यानी की 2019 के दिसंबर से ट्रेन इस रूट पर दौड़ने लगेगी.श्री चौहान ने कहा कि यह सही है कि एस्पलानेड स्टेशन जो ट्राम की जमीन के नीचे बन रहा है, उसको लेकर थोड़ी बहुत दिक्कतें थीं, जो खत्म हो चुकी हैं.
जहां तक हेरिटेज की बात है, सांस्कृतिक मंत्रालय का रवैया सकारात्मक है. मंत्रालय द्वारा अनुमति देने के लिए 30 जून तक का समय तय किया गया है. श्री चौहान ने बताया कि ईस्ट-वेस्ट प्रोजेक्ट की कुल लागत नौ हजार करोड़ रुपये है. निरीक्षण के दौरान महाप्रबंधक के साथ डीजीएम प्रत्युष घोष, मुख्य इंजीनियर विश्वनाथ दिवान के साथ परियजना के अधिकारी मौजूद थे.

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