डॉ शिवा ने कलकत्ता प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन लोगों का लक्ष्य 2047 तक नया आजाद जैविक भारत बनाना है. यह कंपनी राज, कर्ज, आत्महत्या, भूखमरी और बीमारी से मुक्त भारत होगा. जैविक भारत के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए 1867 की आजादी की पहली क्रांति के 160 साल बाद चंपारन सत्याग्रह के 100 साल व भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल और बीज सत्याग्रह के 30वें साल के अवसर पर 13 अप्रैल को मेरठ से सत्याग्रह यात्रा की शुरुआत हुई है.
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बंगाल के किसानों की स्थिति बेहतर : वंदना शिवा
कोलकाता: प्रसिद्ध पर्यावरणविद् व नवदान्या की निदेशक डॉ वंदना शिवा ने कहा कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में बंगाल के किसानों की स्थिति बेहतर है. पहले बरगा आंदोलन हुआ था. उसके बाद सिंगुर व नंदीग्राम के आंदोलन हुए हैं. मां, माटी, मानुष के नारे के साथ किसानों को उनका हक मिला है. जमीन […]
कोलकाता: प्रसिद्ध पर्यावरणविद् व नवदान्या की निदेशक डॉ वंदना शिवा ने कहा कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में बंगाल के किसानों की स्थिति बेहतर है. पहले बरगा आंदोलन हुआ था. उसके बाद सिंगुर व नंदीग्राम के आंदोलन हुए हैं. मां, माटी, मानुष के नारे के साथ किसानों को उनका हक मिला है. जमीन पर अधिकार मिलने के बाद अब बीज और भोजन के संबंध में सोचने का समय है. देश के पांच राज्यों ने जैविक राज्य बनाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. बुधवार को सिंगुर के किसानों ने भी जैविक खेती की शपथ ली है.
यह सत्याग्रह यात्रा दिल्ली, बनारस, पटना होते हुए बुधवार को सिंगुर पहुंची तथा गुरुवार को नंदीग्राम जायेगी. 23 अप्रैल को भुवनेश्वर में जैविक ओड़िशा के आह्वान के साथ यह यात्रा समाप्त होगी. डॉ शिवा ने कहा कि नीति आयोग वास्तव में प्राइवेट कंपनियों के प्रवेश का सिंगल प्वाइंट है. गुजरात में सबसे बड़ी पेस्ट्रीसाइड की कंपनी है. इस अवसर पर झारखंड के सामाजिक कार्यकर्ता नलिनी कांत ने कहा कि बीज को बचाना होगा. जैविक खेती को बढ़ावा देना होगा. भू स्वराज्य स्थापित करने के साथ-साथ स्वराज, स्वदेशी, सत्याग्रह से भारत में बीज और अन्न स्वराज लायेंगे.
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