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तृणमूल शासन में पिछड़ गया बंगाल

कोलकाता : प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का गढ़ माने जानेवाले हाजरा मोड़ के निकट पूर्व मुख्यमंत्री व माकपा के आला नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य ने सभा को संबोधित किया. सभा में उन्होंने राज्य के विकास स्तर के लगातार गिरने का आरोप लगाते हुए मौजूदा समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री ममता नेतृत्व […]

कोलकाता : प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने के बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का गढ़ माने जानेवाले हाजरा मोड़ के निकट पूर्व मुख्यमंत्री व माकपा के आला नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य ने सभा को संबोधित किया.

सभा में उन्होंने राज्य के विकास स्तर के लगातार गिरने का आरोप लगाते हुए मौजूदा समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री ममता नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार की जम कर आलोचना की. चिटफंड, किसानों की बदतर स्थिति, खाद्य असुरक्षा, उद्योग-धंधों की अवनति, महंगाई, बेरोजगारी समेत कई मुद्दों को लेकर उन्होंने तृणमूल सरकार को घेरा. जनसभा के दौरान राज्य में वाम मोरचा के चेयरमैन विमान बसु समेत माकपा के अन्य आला नेता मौजूद रहे.

किसानों की स्थिति बदतर

सत्ता में आने के पहले तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने किसानों के हित का समर्थन कर अपनी पूर्ववर्ती वाममोरचा सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था. सत्ता में आने के बाद तृणमूल सरकार अचानक किसानों के हित को कैसे भूल गयी? पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल रहा है.

राज्य में किसानों की स्थिति दयनीय होती जा रही है. राशन की दुकानों में खाद्य सामग्रियों की कमी हो गयी है. महंगाई बढ़ रही है लेकिन राज्य में खाद्य उत्पादों के उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है.

भविष्य पर संकट

माकपा के आला नेता ने आरोप लगाया कि बेरोजगार युवकों के भविष्य पर संकट बना हुआ है. पढ़ाई पूरी करने के बाद क्या उन्हें राज्य में नौकरी मिल सकती है या मिली है? राज्य के उद्योग-धंधों पर ग्रहण लगा है ऐसे में क्या उम्मीद की जायेगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा राज्य में 10 लाख लोगों को रोजगार दावे को उन्होंने खोखला बताया.

आपराधिक तत्वों का बोलबाला

राज्य में कानून व व्यवस्था की हालत लगातार बिगड़ने का आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यंमत्री ने कहा कि राज्य में आपराधिक तत्वों की संख्या में इजाफा हो रहा है. अपराध बढ़ रहे हैं. अपराधियों के मन में धारणा बन गयी है कि तृणमूल का बस समर्थन करना है और आसानी से उन्हें जमानत मिल जायेगी.

गार्डेनरीच कांड का उदाहरण देते हुए उन्होंने सवाल किया कि इस मामले में आरोपी तृणमूल नेता मुन्ना को जमानत तो मिल गयी लेकिन कांग्रेस समर्थक मुख्तार को क्यों नहीं?

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